क्लाइमेट चेंज के नेगेटिव इफेक्ट्स की ओर ध्यान दिलाते हुए एक रिसर्च की गई और चेतावनी दी गयी है कि अगर समुद्र का तापमान बढ़ता रहा तो मछलियों का आकार 20 से 30 प्रतिशत तक घट सकता है.
कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने मछलियों का आकार घटने की आशंका की वजह के बारे में विस्तार से बताया है.
ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय के
इंस्टीट्यूट फोर दि ओशन एंड फिशरीज के एसोसिएट प्रोफेसर विलियम चेउंग ने
कहा कि ठंडे खून वाले प्राणी होने के कारण मछलियां अपने शरीर के तापमान को
नियंत्रित नहीं कर सकतीं. जब समुद्र का पानी गर्म हो जाता है तो उनका
मेटाबॉलिज्म तेज हो जाता है और उन्हें अपने शरीर की क्रियाएं बनाए रखने के
लिए और ऑक्सीजन की जरूरत होती है.
चेउंग ने कहा कि एक समय आता है जब मछलियों
के गलफड़े एक बड़े शरीर के लिए ऑक्सीजन की पर्याप्त आपूर्ति नहीं कर पाते.
इसलिए मछलियों के शरीर का आकार बढ़ना रुक जाता है.
इस रिसर्च के मुख्य शोधकर्ता डेनियल पाउली
के अनुसार, जैसे ही मछली किशोरावस्था में पहुंचती है तो ऑक्सीजन के लिए
उनकी मांग बढ़ जाती है क्योंकि उनके शरीर का वजन बढ़ जाता है. लेकिन गलफड़े
का एरिया उतनी गति से नहीं बढ़ता जितना बाकी शरीर.
शोधकर्ताओं का कहना है कि क्लाइमेट बदलने
के संदर्भ में इस बायलोजिकल फंक्शन के कारण यह अनुमान लगाया जा रहा है कि
मछलियों का आकर सिकुड़ेगा और उसका आकार उन अनुमानों से भी छोटा हो जाएगा जो
पहले की स्टडीज में लगाया गया है.
गर्म पानी में मछलियों को और अधिक ऑक्सीजन
की जरुरत पड़ेगी लेकिन क्लाइमेट बदलने के कारण समुद्र में कम ऑक्सीजन पैदा
होगी. इसका मतलब है कि गलफड़ा ऑक्सीजन की कम आपूर्ति कर पाएगा जो पहले ही
धीमी गति से बढ़ता है.
नोट: ये रिसर्च के दावे पर हैं.