’टमाटर तोड़ दो’ जैसे Coded Messages के ज़रिये पंजाब और हरियाणा में बलात्कारी राम रहीम के भक्तों (गुंडों) ने की थी हिंसा

25 अगस्त, 2017 को अगले कुछ महीनों तक याद रखा जाएगा. इस दिन देश को दिखा अंधभक्तों का भयानक तांडव. इधर कोर्ट में डेरा सच्चा सौदा के गुरमीत राम रहीम सिंह 'इंसान' उर्फ़ MSG को दो साध्वीयों के बलात्कार का दोषी पाया और उधर राम रहीम के गुंडों ने हिंसा फैला दी. सोचने वाली बात तो ये है कि एक ही वक़्त पर अलग-अलग जगह हिंसा कैसे भड़क गई? देखते ही देखते स्थिति इतनी बेकाबू हो गई की पुलिसवालों को भी जान बचाकर भागना पड़ा.
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अब एक-एक कर हर बात खुलकर सामने आ रही है. आर्मी ने राज्य को हिंसा के बारे में आगाह किया था, पर पुलिस और सुरक्षा बल कोई भी इस तरह के हमले के लिए तैयार नहीं था.
अब पंजाब पुलिस ने एक षड्यंत्र का खुलासा करने का दावा किया है. पंजाब पुलिस के अनुसार, उन्होंने पंजाब में हुई हिंसा से जुड़े 7 लोगों को हिरासत में लिया है, जिन्होंने हिंसा से जुड़ी अहम जानकारी दी है.
 
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पुलिस के अनुसार, ये 7 लोग 'स्टेट-लेवल कमिटी' के सदस्य हैं और ये कमिटी इस साल के शुरूआत में ही बनाई गई थी. इस कमिटी का मुख्य उद्देश्य डेरा प्रमुख के खिलाफ़ आने वाले फ़ैसले का हिंसात्मक विरोध करना था. इस कमिटी का गठन डेरा सच्चा सौदा के पॉलिटिकल विंग ने किया था. इन 7 मेंबर्स ने हर ज़िले में 5 मेंबर की कमिटी बनाकर हिंसा का प्लैन बनाने का निर्देश दिया था.
हिंसा शुरू करने के लिए राम रहीम के गुंडों को कोड वर्ड्स दिए गए थे. भठिंडा में मौजूद डेरा सच्चा सौदा के गुंडों के लिए कोड वर्ड था, 'टमाटर तोड़ दो'. वहीं संगरूर में राम रहीम के गुंडों का कोड था, 'सब्जी तैयार है, वरताउनी है.', 'लेबर तैयार है, निहां पटनियां हान'.
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25 अगस्त को हुए हिंसा के बाद पंजाब पुलिस ने 44 एफ़आईआर दर्ज की हैं. इस मामले में मेजर सिंह समेत 24 अन्य लोगों की गिरफ़्तारी भी हुई है. मेजर सिंह ने डेरा के उपद्रवियों को हथियार, पेट्रोल, पैसे आदि सप्लाई करवाए थे.
पंजाब के मुक्तसर में ही लगभग रोज़ इस हिंसा से जुड़ी मीटिंग हो रही थी. मुक्तसर से भी पुलिस ने कुछ गिरफ़्तारियां की. पुलिस ने ये भी बताया कि जो भक्त(राम रहीम का गुंडा) पंचकुला और सिरसा के लिए निकले थे, उन्हें ये बताया गया था कि वहां लंगर और कीर्तन का आयोजन किया गया है.
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सोचने वाली बात है कि इतनी बड़ी साज़िश हो रही थी पर पुलिस को इसकी भनक तक नहीं लगी. हम पुलिस पर आरोप नहीं लगा रहे, लेकिन अगर इस तरह की सख्ती पहले होती, तो कई जानें बच सकती थी.