गुरमीत राम रहीम मामले को लेकर कानून व्यवस्था व शांति बनाए रखे जाने की मांग को लेकर पिछले माह हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका में एक अर्जी दायर की गई है। जिसमें डेरा सच्चा सौदा के संस्थापक शाह मस्ताना के अनुयायियों ने कहा कि उनका गुरमीत से कोई नाता नहीं है और न ही वह उसके अनुयायी हैं। शाह मस्ताना ने अपने समय पंजाब व हरियाणा में 17 डेरे बनाए थे। इन्हें बनाए जाने का मकसद व्यावसायिक गतिविधियां करना नहीं बल्कि राम नाम का प्रचार करना है। उनके अनुयायी इन डेरों को भक्ति का स्थान मानते हैं क्योंकि वहां उनके गुरु ने ध्यान लगाया था। ऐसे में इन डेरों को अटैचमेंट की कार्रवाई से दूर रखा जाए। यदि गुरमीत के अनुयायियों द्वारा किए गए नुक्सान के रूप में रिकवरी करनी है तो वह गुरमीत की व्यावसायिक और निजी संपत्ति से की जा सकती है या उन डेरों से जो गुरमीत ने बनवाए हैं जिनकी संख्या लगभग 20 है।
पंजाब व हरियाणा में करीब 200 नामचर्चा घर भी हैं। संबंधित अर्जी पर मुख्य याचिका के साथ सुनवाई हो सकती है। मुख्य याचिका 27 सितंबर को लगेगी। अर्जी में डेरा सच्चा सौदा की संपत्ति की एक लिस्ट भी दी गई है जिसे अटैच किया जा सकता है। जिसमें हरियाणा, राजस्थान और मध्यप्रदेश स्थित स्कूलों के अलावा हॉस्पिटल, सच कहूं न्यूज पेपर, मैगजीन ऑफिस, बिस्कूट व चिप्स आदि की फैक्टरी व वर्ष 1990-91 के बाद गुरमीत सिंह द्वारा बनाए गए सभी डेरे और नाम चर्चा घर शामिल हैं।
वोट बैंक के लिए अपराधियों का साथ दिया
अर्जी में यहां तक कहा गया है कि पंचकूला में हुई हिंसक घटना राज्य सरकार और इंटैलीजेंस मशीनरी की चूक के चलते हुई। वहीं इसके पीछे राजनीतिक लीडरों की राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी के चलते हुई जो अच्छे और बुरे में फर्क नहीं कर सके और वोट बैंक के लिए आपराधियों का साथ दिया।