इन वजहों से युवाओं में बढ़ रही है भूलने की बीमारी!

YOUR HEALTH: Getting Alzheimer’s at an earlier age

सामान्य तौर पर अल्जाइमर की बीमारी वृद्धावस्था में होती है लेकिन आजकल युवाओं में भी इस तरह के मामले देखने में आ रहे हैं और विशेषज्ञों के अनुसार, इसकी विभिन्न वजहों में तनावपूर्ण जीवन और कई कामों के बोझ की वजह से याददाश्त की कमी होना शामिल हैं.
क्या कहते हैं डॉक्टर्स-
डॉक्टर्स के अनुसार, सामान्य तौर पर 60 या इससे अधिक उम्र के लोगों में ही पाई जाने वाली याददाश्त‍ की कमी की यह समस्या अब युवाओं को भी अपनी चपेट में लेती दिख रही है.
कानपुर स्थित रीजेंसी हेल्थकेयर के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ.ए.ए. हाशमी ने कहा कि आजकल के समय में युवाओं में भी हाई ब्लड प्रेशर, डिप्रेशन, शराब पीने की लत और डायबिटीज के रूप में अल्जाइमर की शुरूआत होने के मामले देखे गये हैं.
होती हैं ये समस्याएं-
इस बीमारी में व्यक्ति भूलने लगता है और खाना निगलने जैसी स्वत: होने वाली शारीरिक क्रियाएं भी प्रभावित हो सकती हैं. याददाश्त प्रभावित होने की यह समस्या कम आयु वर्ग के लोगों में भी देखने को मिल रही है.
युवाओं में अल्जाइमर होने के कारण-
आज 21 सितंबर को ‘विश्व अल्जाइमर दिवस’ है. इस मौके पर गुड़गांव स्थित मेदांता मेडिसटी में न्यूरो साइंस संस्थान के निदेशक डॉ. अरुण गर्ग ने कहा कि आमतौर पर यह बीमारी बुजुर्गों में पाई जाती है. यदि किसी नौजवान को यह बीमारी होती है, तो इसका कारण आनुवांशिक हो सकता है. वह मानते हैं कि एक से दो प्रतिशत मामलों में देखा गया है कि ये बीमारी नौजवानों को होती है.
युवा पीढ़ी में याददाश्त प्रभावित होने की समस्या एक साथ कई काम करने से जुड़ी हो सकती है. उन्होंने इसके लिए नींद पूरी लेना जरूरी बताया. उन्होंने कहा कि हमारे दिमाग को आराम देने के लिए पूर्ण रूप से नींद लेना बहुत जरुरी है.
डिमेंशिया का एक प्रकार है अल्जाइमर-
वेंकटेश्वर अस्पताल के कंसल्टेंट न्यूरोलॉजिस्ट डॉ दिनेश सरीन कहते हैं कि वृद्धावस्था में लोगों को होने वाली डिमेंशिया की समस्या का सबसे प्रचलित प्रकार अल्जाइमर है जो 60 से 80 प्रतिशत डिमेंशिया के मामलों में होता है.
क्या कहते हैं आंकड़े-
कुछ अध्ययनों में दावा किया गया है कि डिमेंशिया बढाने वाले कारकों को अगर सही से जीवन में पहले ही नियंत्रित कर लिया जाए तो दुनियाभर में इस तरह के मामलों को कम करने की संभावना बढ़ जाती है. विकसित या धनी देशों में पिछले कुछ दशकों में धूम्रपान, शराब का सेवन आदि मोडिफियेबल कारकों पर 45 से 65 साल की उम्र में नियंत्रण करने से अल्जाइमर के मामले कम होने के आंकड़े सामने आये हैं.
अल्जाइमर से बचने के लिए खानपान-
40 से 50 साल की उम्र में खानपान में फलों, सब्जियों, साबुत अनाजों, बीन्स आदि की मात्रा बढ़ाने से फायदे दिखने लगे हैं. इनसे न केवल दिल संबंधी खतरे कम होते हैं बल्कि डिमेंशिया के खतरे को भी कम करने में भी मदद मिल सकती है.
अल्जाइमर से बचने के उपाय-  
इस बीमारी से बचाव के लिए स्वस्थ जीवनशैली अपनाने की जरूरत है. अल्जाइमर के खतरे से बचने के लिए भरपूर नींद और संतुलित आहार लेना चाहिए और ब्लडप्रेशर नियंत्रित रखना जरूरी है.