हमारे समाज में तीन तरह के लोग होते हैं पुरुष, स्त्री और किन्नर।
किन्नर ना तो पूरी तरह से मर्द होते हैं, ना ही पूरी तरह से स्त्री होते
हैं। इस जेंडर के लोगों के बारे में ग्रंथों में भी जिक्र किया गया है और
ऐसा कहा जाता है कि इन की दुआओं में बहुत असर होता है। यह किसी को अगर दिल
से दुआ दे दें, तो वह दुआ जरुर पूरी होती है। यह हर किसी की खुशी में शामिल
होते हैं। जैसे कि बच्चा पैदा होने की खुशी, शादी होने की खुशी, नया घर
बनने की खुशी, इस तरह की बहुत सारी खुशियां में ये लोग शामिल होते हैं और
इन लोगों से आप का सामना आए दिन होता ही रहता होगा। यह आपको लोकल ट्रेन में
दिख जाते हैं या सड़कों पर दिख जाते हैं या लोगों के घर में भी नाचते गाते
दिख जाते है। इनकी दुनिया आम आदमी की दुनिया से बिल्कुल ही अलग है। उनका
रहन सहन आम आदमी से बिल्कुल ही अलग है। जिसके बारे में हर कोई जानने की
उत्सुकता रहता है। ऐसी ही कुछ दिलचस्प बातें आज हम आपको किन्नरों के बारे
में बताएंगे, जिनको सुनकर आप दंग रह जाएंगे।
आपको बताते हैं कि ज्योतिष शास्त्र के हिसाब से किन्नर बच्चा कैसे पैदा
होता है। जब वीर्य स्त्री के शरीर में ज्यादा चला जाता है तो पुरुष यानि की
पुत्र पैदा होता है और रक्त ज्यादा चला जाता है तो कन्या पैदा होती है।
परंतु वीर्य और रक्त समान मात्रा में स्त्री के गर्भ में चला जाए, तो
किन्नर संतान पैदा होती है। कुछ लोगों का मानना है कि अगर आपकी कुंडली में
बुध, शनि, शुक्र और केतु के अशुभ योग हैं उसके कारण भी आपको किन्नर संतान
पैदा हो सकती है।
आपको जानकर हैरानी होगी कि अगर किसी किन्नर की मौत होती है, तो समाज में
इसके बारे में बिल्कुल भी पता नहीं चलता है और एक किन्नर का दाह संस्कार
बहुत ही गुप्त तरीके से किया जाता है।
अगर कोई नया किन्नर किन्नर समाज में शामिल होता है तो उससे पहले उसे कई
तरह के रीति-रिवाज जैसे कि नाच गाना सामूहिक भोज यह सब करना पड़ता है।
जब कोई व्यक्ति किन्नर समाज में आता है उसे बहुत तरह के रीति-रिवाज को
अपनाना पड़ता है। जैसे कि किन्नर साल में एक बार अपने आराध्य देव अरावन से
विवाह करते हैं यह विवाह सिर्फ 1 दिन के लिए माना जाता है।
अगर आप सब ने महाभारत सुनी है तो आप सबको पता होगा कि भीष्म पितामह की मृत्यु शिखंडी की वजह से हुई थी और शिखंडी एक किन्नर था।
महाभारत में पांडवों को 1 वर्ष के लिए अज्ञातवास करना पड़ा था। तो उसमें
उन पांच ने अलग अलग रुप लिए थे। जिसमें अर्जुन ने 1 साल तक किन्नर रूप
धारण किया हुआ था।
कुछ लोगों का मानना है कि किन्नर की उत्पत्ति ब्रह्मा जी से ही हुई है।
दूसरी ओर कई लोग यह भी मानते हैं कि अरिष्टा और कश्यप ऋषि से किन्नरों की उत्पत्ति हुई है।