द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति पर अमरीका और सोवियत रूस ने कोरिया को दो
भागों में बांट दिया और 1948 में इस देश की दो अलग-अलग सरकारें बन गईं।
कोरियन लड़ाई (1950-53) ने दोनों देशों में शत्रुता की खाई को और चौड़ा कर
दिया। उत्तरी कोरिया के वर्तमान सनकी शासक ‘किम-जोंग-उन’ के दादा
‘किम-इल-सुंग’ इस देश के पहले शीर्षस्थ नेता थे।
आर्थिक दृष्टिï से यह विश्व के कम सम्पन्न देशों में से एक है जबकि दूसरी ओर अमरीका का साथी दक्षिणी कोरिया सकल घरेलू उत्पाद के आधार पर विश्व की 15वीं और क्रय शक्ति के आधार पर 12वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने के नाते एक समृद्ध देश बन चुका है। यह विडम्बना ही है कि उत्तरी कोरिया अपनी कमजोर अर्थव्यवस्था को सुधार कर देश की हालत बेहतर बनाने पर ध्यान देने की बजाय अपने परमाणु कार्यक्रम को आगे बढ़ाने, अमरीका तथा जापान को बर्बाद करने और समुद्र में डुबोने जैसी तबाही की योजनाएं बनाने में जुटा हुआ है क्योंकि यह जापान, अमरीका तथा अन्य देशों को अपना दुश्मन व चीन को दोस्त मानता है।
दक्षिण कोरिया से अपनी शत्रुता को उजागर करते हुए न सिर्फ ‘किम जोंग’ ने इसे गद्दार करार दे दिया है बल्कि अपनी परमाणु गतिविधियों को न रोकने की बात भी कही है। ‘किम जोंग’ ने कुछ समय से उत्तरी कोरिया की परमाणु गतिविधियां बहुत ज्यादा बढ़ा दी हैं जो न सिर्फ जापान और अमरीका बल्कि पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय बन गई हैं। अभी कुछ ही समय पूर्व किम जोंग ने अमरीका को यह धमकी भी दी है कि यदि उसने उत्तरी कोरिया पर कोई कार्रवाई की तो वह उस पर हाइड्रोजन बम गिराने से भी संकोच नहीं करेगा। 2011 में सत्ता संभालने के बाद ‘किम जोंग’ के शासन में परमाणु परीक्षणों में काफी तेजी आई है तथा उत्तर कोरिया 6 परमाणु परीक्षण कर चुका है परंतु यही तेजी उसके लिए विनाश का कारण बन गई है।
गत 3 सितम्बर को उत्तर कोरिया द्वारा परमाणु बम के सबसे बड़े भूमिगत परीक्षण, जिसे उसने हाईड्रोजन बम का परीक्षण कहा था, के बाद 10 सितम्बर को उत्तर कोरिया के परमाणु परीक्षण स्थल ‘पंगी री’ पर सुरंग के ढहने से लगभग 100 लोगों की मृत्यु हो गई और जब बचाव अभियान चलाया जा रहा था तब दूसरी बार सुरंग ढहने से मृतकों की संख्या 200 से भी अधिक हो गई। परमाणु परीक्षण के चलते ही दुर्घटना के हालात पैदा हुए क्योंकि विशेषज्ञों ने चेतावनी भी दी थी कि भूमिगत परीक्षण की वजह से पहाड़ गिर सकता है।
यह परीक्षण पांचवें परमाणु परीक्षण की तुलना में लगभग 10 गुणा अधिक शक्तिशाली तथा हिरोशिमा पर 6 अगस्त, 1945 को अमरीका द्वारा गिराए गए परमाणु बम से 8 गुणा अधिक शक्तिशाली था। इससे रिक्टर पैमाने पर 6.3 तीव्रता का भूकंप आया और ‘पंगी री’ की जमीन में दरारें आ गईं जिससे यह काफी कमजोर हो गई। किम जोंग ने इसकी परवाह किए बिना यहां एक भूमिगत सुरंग बनाने का आदेश दे दिया। कमजोर धरती में सुरंग बनाने से यह गिर गई और अब इस स्थल का उपयोग नहीं हो सकेगा।
इसी के दृष्टिगत दक्षिण कोरिया और चीन के विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि फिर से उत्तर कोरिया द्वारा परमाणु परीक्षण करने पर पहाड़ ढह सकते हैं और रेडियो सक्रिय किरणें फैल जाने से पर्यावरण को खतरनाक सीमा तक क्षति पहुंचेगी। उत्तर कोरिया ने सभी परमाणु परीक्षण इसी जगह पर किए हैं। आज जबकि विश्व पहले ही अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद जैसी भयानक समस्याओं से जूझ रहा है, उत्तरी कोरिया के तानाशाह किम जोंग द्वारा परमाणु परीक्षणों के जुनून की वजह से ही 200 लोगों की जान गई है क्योंकि व्यक्ति लाख योजनाएं बनाता रहे परंतु कुदरत अपने ढंग से ही काम करती है। अत: उत्तर कोरिया तबाही की योजनाएं बनाना छोड़े क्योंकि उसका भला इसी में है कि वह शांति और सह-अस्तित्व का रास्ता अपनाए। आज जबकि समूचा विश्व एक ग्लोबल विलेज बनता जा रहा है और किसी जमाने के शत्रु अमरीका, जापान और जर्मनी भी नजदीक आ गए हैं तो उत्तर कोरिया भी दक्षिण कोरिया, अमरीका और जापान के साथ अपना शत्रु भाव त्याग कर शांति और नवनिर्माण का नया दौर शुरू करे।
आर्थिक दृष्टिï से यह विश्व के कम सम्पन्न देशों में से एक है जबकि दूसरी ओर अमरीका का साथी दक्षिणी कोरिया सकल घरेलू उत्पाद के आधार पर विश्व की 15वीं और क्रय शक्ति के आधार पर 12वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने के नाते एक समृद्ध देश बन चुका है। यह विडम्बना ही है कि उत्तरी कोरिया अपनी कमजोर अर्थव्यवस्था को सुधार कर देश की हालत बेहतर बनाने पर ध्यान देने की बजाय अपने परमाणु कार्यक्रम को आगे बढ़ाने, अमरीका तथा जापान को बर्बाद करने और समुद्र में डुबोने जैसी तबाही की योजनाएं बनाने में जुटा हुआ है क्योंकि यह जापान, अमरीका तथा अन्य देशों को अपना दुश्मन व चीन को दोस्त मानता है।
दक्षिण कोरिया से अपनी शत्रुता को उजागर करते हुए न सिर्फ ‘किम जोंग’ ने इसे गद्दार करार दे दिया है बल्कि अपनी परमाणु गतिविधियों को न रोकने की बात भी कही है। ‘किम जोंग’ ने कुछ समय से उत्तरी कोरिया की परमाणु गतिविधियां बहुत ज्यादा बढ़ा दी हैं जो न सिर्फ जापान और अमरीका बल्कि पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय बन गई हैं। अभी कुछ ही समय पूर्व किम जोंग ने अमरीका को यह धमकी भी दी है कि यदि उसने उत्तरी कोरिया पर कोई कार्रवाई की तो वह उस पर हाइड्रोजन बम गिराने से भी संकोच नहीं करेगा। 2011 में सत्ता संभालने के बाद ‘किम जोंग’ के शासन में परमाणु परीक्षणों में काफी तेजी आई है तथा उत्तर कोरिया 6 परमाणु परीक्षण कर चुका है परंतु यही तेजी उसके लिए विनाश का कारण बन गई है।
गत 3 सितम्बर को उत्तर कोरिया द्वारा परमाणु बम के सबसे बड़े भूमिगत परीक्षण, जिसे उसने हाईड्रोजन बम का परीक्षण कहा था, के बाद 10 सितम्बर को उत्तर कोरिया के परमाणु परीक्षण स्थल ‘पंगी री’ पर सुरंग के ढहने से लगभग 100 लोगों की मृत्यु हो गई और जब बचाव अभियान चलाया जा रहा था तब दूसरी बार सुरंग ढहने से मृतकों की संख्या 200 से भी अधिक हो गई। परमाणु परीक्षण के चलते ही दुर्घटना के हालात पैदा हुए क्योंकि विशेषज्ञों ने चेतावनी भी दी थी कि भूमिगत परीक्षण की वजह से पहाड़ गिर सकता है।
यह परीक्षण पांचवें परमाणु परीक्षण की तुलना में लगभग 10 गुणा अधिक शक्तिशाली तथा हिरोशिमा पर 6 अगस्त, 1945 को अमरीका द्वारा गिराए गए परमाणु बम से 8 गुणा अधिक शक्तिशाली था। इससे रिक्टर पैमाने पर 6.3 तीव्रता का भूकंप आया और ‘पंगी री’ की जमीन में दरारें आ गईं जिससे यह काफी कमजोर हो गई। किम जोंग ने इसकी परवाह किए बिना यहां एक भूमिगत सुरंग बनाने का आदेश दे दिया। कमजोर धरती में सुरंग बनाने से यह गिर गई और अब इस स्थल का उपयोग नहीं हो सकेगा।
इसी के दृष्टिगत दक्षिण कोरिया और चीन के विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि फिर से उत्तर कोरिया द्वारा परमाणु परीक्षण करने पर पहाड़ ढह सकते हैं और रेडियो सक्रिय किरणें फैल जाने से पर्यावरण को खतरनाक सीमा तक क्षति पहुंचेगी। उत्तर कोरिया ने सभी परमाणु परीक्षण इसी जगह पर किए हैं। आज जबकि विश्व पहले ही अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद जैसी भयानक समस्याओं से जूझ रहा है, उत्तरी कोरिया के तानाशाह किम जोंग द्वारा परमाणु परीक्षणों के जुनून की वजह से ही 200 लोगों की जान गई है क्योंकि व्यक्ति लाख योजनाएं बनाता रहे परंतु कुदरत अपने ढंग से ही काम करती है। अत: उत्तर कोरिया तबाही की योजनाएं बनाना छोड़े क्योंकि उसका भला इसी में है कि वह शांति और सह-अस्तित्व का रास्ता अपनाए। आज जबकि समूचा विश्व एक ग्लोबल विलेज बनता जा रहा है और किसी जमाने के शत्रु अमरीका, जापान और जर्मनी भी नजदीक आ गए हैं तो उत्तर कोरिया भी दक्षिण कोरिया, अमरीका और जापान के साथ अपना शत्रु भाव त्याग कर शांति और नवनिर्माण का नया दौर शुरू करे।