फोर्टिस अस्पताल ने दिया 25 लाख का ऑफर, आद्या के पिता कराएंगे FIR दर्ज

फोर्टिस अस्पताल ने दिया 25 लाख का ऑफर, आद्या के पिता कराएंगे FIR दर्ज 

फोर्टिस अस्पताल में डेंगू के कारण 7 साल की बच्ची की मौत के बाद 16 लाख रुपये वसूल करने के मामला सामने आया था। बच्ची के पिता ने अस्पताल पर आरोप लगाया है कि, अस्पताल ने मामले को समझौते के लिए 25 लाख रुपये का ऑफर दिया था। बच्ची के पिता ने बताया कि,  अस्पताल के सीनियर मैनेजमेंट के सदस्य ने उन्हें फोन पर 25 लाख रुपये और भुगतान किए गए 10 लाख कैश देने की बात कही थी। आद्या के पिता जयंत सिंह अस्पताल के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाने जा रहे हैं।

जयंत सिंह के अनुसार, बीते 24 नवंबर को उसके फोन पर फोर्टिस के सीनियर मैनेजमेंट के एक सदस्य की कॉल आई थी, वे 25 लाख रुपये और उनके द्वारा दिए गए 10 लाख रुपये कैश वापिस देने को तैयार हैं लेकिन इसके लिए एग्रीमेंट साइन करने के लिए कहा गया कि, वे इस मामले को लेकर कोर्ट नहीं जाएंगे।

वहीं इस बात को मीडिया में आने पर फोर्टिस अस्पताल ने एक लेटर जारी किया, जिसमें कहा गया कि, जयंत सिंह को इलाज का पैसा वापिस न देने की बात नहीं कही गई थी बल्कि उन्होंने आद्या के पिता की आर्थिक स्थिति को देखते हुए मानवता के कारण ये पैसे ऑफर किए थे।

हरियाणा सरकार भी एफआईआर कराने की तैयारी में
वहीं हरियाणा सरकार भी फोर्टिस अस्पताल के खिलाफ मामला दर्ज करने की तैयारी में है। हरियाणा डीजी हेल्थ द्वारा गठित कमेटी की जांच रिपोर्ट में अस्पताल को दोषी पाया गया था। इसकी पुष्टि हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने की थी। स्वास्थ्य मंत्री ने अस्पताल के ब्लड बैंक का लाइसेंस रद्द करने और अस्पताल पर एफआईआर दर्ज करवाने की बात कही थी। सरकार ने फोर्टिस अस्पताल को सरकारी पैनल से हटाने के निर्देश दिए हैं।

कफन के भी वसूल लिए थे 700 रुपये, एंबुलेंस भी नहीं दी
जयंत सिंह का आरोप है कि जब तक वे पैसा देते रहे, अस्पताल का व्यवहार बहुत अच्छा रहा, लेकिन जैसे ही उन्होंने बेटी को ले जाने के लिए कहा तो उनका व्यवहार बदल गया। अस्पताल ने बच्ची के तन पर पहने कपड़ों तक के 900 रुपए वसूल लिए। यही नहीं, अस्पताल ने कफन के भी 700 रुपए लिए। बच्ची के पिता जयंत सिंह ने बताया कि आखिरी में अस्पताल ने एम्बुलेंस तक देने से मना कर दिया। यहां तक कि उन्होंने ये भी कहा कि हम डेथ सर्टिफिकेट भी नहीं देंगे।

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इस तरह बनाए थे 15 लाख 79 हजार रुपए
एडमिशन चार्ज- 1250 रुपए, ब्लड बैंक- 61315 रुपए, डायग्नोस्टिक- 29190 रुपए, डॉक्टर चार्ज- 53900 रुपए, दवाइयां- 396732 रुपए, इक्विपमेंट चार्ज- 71000 रुपए, इन्वेस्टिगेशन- 217594 रुपए, मेडिकल/सर्टिकल प्रोसीजर- 285797 रुपए, मेडिकल कनज्यूमेबल- 273394 रुपए, मिसलेनियस- 15150 रुपए, रूम रेंट- 174000 रुपए।

ये है पूरा मामला
 दिल्ली के द्वारका में रहने वाले जयंत सिंह की सात साल की बेटी आद्या को 27 अगस्त से तेज बुखार था। दूसरे ही दिन उसे रॉकलैंड अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहां दो दिन भर्ती रहने के बाद उन्होंने गुडग़ांव के फोर्टिस अस्पताल में रेफर कर दिया। डॉक्टरों ने बच्ची को अगले दस दिन लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा। 14 सितंबर को बच्ची की मौत हो गई।

मामला कैसे सामने आया?
 दरअसल, बच्ची के पिता जयंत सिंह के एक दोस्त ने ञ्चष्ठशश्चद्गस्नद्यशड्डह्ल नाम के हैंडल से 17 नवंबर को हॉस्पिटल के बिल की कॉपी के साथ ट्विटर पर पूरी घटना शेयर की।  उन्होंने इसमें लिखा, मेरे साथी की 7 साल की बेटी डेंगू के इलाज के लिए 15 दिन तक फोर्टिस हॉस्पिटल में भर्ती रही। हॉस्पिटल ने इसके लिए उन्हें 16 लाख का बिल दिया। इसमें 2700 दस्ताने और 660 सीरिंज भी शामिल थीं। आखिर में बच्ची की मौत हो गई। 4 दिन के भीतर ही इस पोस्ट को 9000 से ज्यादा यूजर्स ने रिट्वीट किया। इसके बाद हेल्थ मिनिस्टर जेपी नड्डा ने हॉस्पिटल से रिपोर्ट मांगी।

फोर्टिस अस्पताल ने ये दी थी सफाई
 फोर्टिस अस्पताल की ओर से जारी बयान के मुताबिक, बच्ची के इलाज में सभी स्टैंटर्ड मेडिकल प्रोटोकॉल और गाइडलाइन्स का ध्यान रखा गया था। बच्ची को डेंगू की गंभीर हालत में हॉस्पिटल लाया गया था। बाद में उसे डेंगू शॉक सिंड्रोम हो गया और प्लेटलेट्स गिरते चले गए। उसे 48 घंटे तक वेंटिलेटर सपोर्टर पर भी रखना पड़ा।
अस्पताल ने कहा, परिवार को बच्ची की खराब हालत के बारे में हर दिन लगातार बताया गया था। 14 सितंबर को परिवार ने बच्ची को लीव अगेंस्ट मेडिकल एडवाइस के तहत अस्पताल से ले जाने का फैसला किया। उसी दिन बच्ची की मौत हो गई।