GST की मार, अब गुरुद्वारों के लंगर में...!

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मोदी सरकार की जीएसटी की मार अब पंजाब के गुरुद्वारों में देखने को मिल रही हैं..। जहां पहले के मुकाबले ‘लंगरों’ में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा हैं..। पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश में गुरुद्वारा का प्रबंधन देखने वाली शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) ने दांवा किया है कि जीएसटी से मुक्त भोजन सेवा में अतिरिक्त वित्तीय भार का सामना करना पड़ रहा हैं..। वहीं अमृतसर के प्रसिद्ध स्वर्ण मंदिर में एसजीपीसी ने दांवा किया कि जीएसटी से लगभग दो करोड़ का अतिरिक्त भार के तौर पर जीएसटी देना पड़ रहा है...।  
वैसे आपको बता दूं..! स्वर्ण मंदिर में हर सप्ताह और अन्य दिनों में विभिन्न धर्मों, जातियों, देशों के लगभग 1 लाख से ज्यादा लोग मुक्त में भोजन करते हैं..। वहीं सामान्य दिनों में यहां तकरीबन 50 हजार लोग भोजन करते हैं..। वैसे यह भोजन बिल्कुल शाकाहारी होता हैं..। वहीं एसजीपीसी के प्रवक्ता दिलजीत सिंह बेदी ने कहा, “पिछले साल जीएसटी लागू होने के बाद से लंगर के लिए राशन व प्रसाद खरीदने में 2 करोड़ रूपये से भी अधिक की धनराशि जीएसटी के तहत देनी पड़ रही हैं”। जिससे आर्थिक स्थिति में वित्तीय बोझ अधिक पड़ रहा हैं...। लंगर के लिए स्वर्ण मंदिर परिसर हर साल हजारों टन गेंहू, देसी घी, आदि सामाग्री प्रयोग करता हैं..। 
वहीं एसजीपीसी का कहना हैं...कि पूरे देश में गुरुद्वारें रोजना लंगर के माध्यम से 1 करोड़ लोगों को मुक्त में खाना खिलाते हैं..। इससे पहले भी ‘एसजीपीसी’ पीएम मोदी, वित्तमंत्री अरुण जेटली और जीएसटी परिषद को पत्र लिख खाने-पीने के कच्चे माल पर जीएसटी नहीं लगाने का आग्रह कर चुका हैं..। लेकिन इस पर अभी तक कोई सुनवाई नहीं हो पाई हैं..। 
#वित्तमंत्री जेटली को झुठलाया...!
हाल ही में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था, “जीएसटी उन उत्पादों पर लगाया जाता है, जिसे बेचा जाता है। गुरुद्वारों में मुक्त में भोजन का वितरण किया जाता है, इसलिए इस पर जीएसटी लगाने की कोई सवाल ही पैदा नहीं होता।” एसजीपीसी अध्यक्ष गोविंद सिंह लोंगोवाल ने जेटली के इस बयान को सत्य और तथ्यों से परें बताया हैं..। गोविंद सिंह ने कहा कि “यह बयान सत्य और तथ्यों से कोसों दूर हैं”।