अगर हम हिन्दू शास्त्रों की बात करे तो हिन्दू धर्म में यूँ तो तेंतीस
करोड़ देवी देवताओ को पूजा जाता है. मगर आज जो खबर हम आपको बताने वाले है
उसके बारे में जान कर आप भी चौंक जायेंगे. जी हां दरअसल झाँसी के एक गांव
में जिस देवी को पूजा जाता है, आपने यक़ीनन उनके बारे में कभी नहीं सुना
होगा. आपकी जानकारी के लिए बता दे कि झाँसी के मऊरानीपुर इलाके में रेवन और
ककवारा नामक गांव है. अब आप सोच रहे होंगे कि हम आपको इस गांव के बारे में
क्यों बता रहे है. दरअसल इन दोनों गावो के बीच एक मंदिर स्थित है. जिसे
कुतिया महारानी का मंदिर भी कहा जाता है. हालांकि ये सुनने में बड़ा अजीब लग
रहा है, लेकिन ये सच है. ऐसा एक मंदिर इन दोनों गावो के बीच स्थित है.
आपको जान कर ताज्जुब होगा कि यहाँ हर रोज पूरे नियमो के साथ पूजा पाठ भी
की जाती है. इसके इलावा यहाँ रहने वाले लोगो का कहना है कि जब कुतिया की
मौत हुई, तो उन्होंने उस कुतिया को यही दफना दिया. जिसके बाद वो जगह एक
पत्थर के रूप में बदल गई. अब जाहिर सी बात है कि हमारे भारत देश के लोग
इतने धार्मिक है कि उन्होंने उस कुतिया का ही मंदिर बना दिया. जी हां
गौरतलब है कि इस जगह लोगो ने न केवल मंदिर बनवाया, बल्कि उस कुतिया की
प्रतिमा भी बनवा दी. आपकी जानकारी के लिए बता दे कि इस मंदिर में एक चबूतरे
पर काले रंग की कुतिया की प्रतिमा बनाई गई है. यहाँ तक कि इस जगह पर
महिलाएं पूजा अर्चना करके जल भी चढाती है.
वही इस बारे में रेवन गांव की कुसुमलता का कहना है कि कुतिया का ये
मंडित वास्तव में सब की श्रद्धा का केंद्र है. इसके साथ ही उन्होंने ये भी
कहा कि कुतिया महारानी जी सब की मनोकामना पूरी करती है. इसलिए यहाँ कई सालो
से कुतिया की पूजा की जाती है. हालांकि ये सच है या केवल लोगो का अंध
विश्वास ये हम भी नहीं कह सकते. वो इसलिए क्यूकि भारत के लोगो की श्रद्धा
के बारे में हर कोई अच्छी तरह से जानता. जी हां हमारे भारत के लोगो को किसी
भी झूठ को सच मानने और किसी भी सच को झूठ मानने में देर नहीं लगती. इसलिए
ये कहना मुश्किल होगा कि कुतिया महारानी का इस तरह से मंदिर बना कर उसे
पूजना सही है या नहीं.
वैसे भी हम इस मंदिर को देवी देवताओ के समान तो नहीं समझ सकते, क्यूकि
ये देवी देवताओ का अपमान होगा और हम अपने देवी देवताओ का अपमान नहीं कर
सकते. मगर इसके साथ ही हम इन लोगो की श्रद्धा को भी झुकला नहीं सकते. यानि
अगर हम सीधे शब्दों में कहे तो हम किसी के विश्वास को कम नहीं कर सकते और न
ही उसे झूठा कह सकते है, लेकिन हम इसे पूरी तरह से सच भी नहीं मान सकते,
क्यूकि एक कुतिया का मंदिर बना कर उसे कुतिया महारानी बना कर उसे देवी
देवताओ की तरह पूजना वास्तव में काफी अजीब लगता है.