अमेरिकी
वायुसेना के प्रमुख जनरल डेविड एन गोल्डफिन ने भारत-प्रशांत क्षेत्र में
चीन के बढ़ते सैन्य दबदबे पर चिंता जताते हुए कहा कि भारत और अमेरिका की
वायु सेनाएं इस क्षेत्र में दोनों देशों के रणनीतिक हितों को पूरा करने के
लिए संचालनात्मक सहयोग बढ़ाएंगी. क्षेत्र के साझा हितों को आगे बढ़ाते हुए
भारत को अमेरिका का ‘‘मुख्य रणनीति साझेदार’’ बताते हुए उन्होंने कहा कि
दुनिया की दो सबसे बड़ी वायुसेनाएं संयुक्त रूप से भारत- प्रशांत क्षेत्र
पर अपना ध्यान लगाने जा रही हैं. उन्होंने कहा कि अहम समुद्री मार्गों में
नियम आधारित व्यवस्था बनी रहनी चाहिए.
गोल्डफिन
ने भारत की तीन दिवसीय यात्रा के दौरान एयर चीफ मार्शल बी एस धनोआ और
रक्षा बलों के शीर्ष अधिकारियों से विस्तृत बातचीत की. उन्होंने एक
साक्षात्कार में कहा कि अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच
‘‘चतुष्पक्षीय’’ गठबंधन से भारत और अमेरिका की वायुसेनाओं के बीच सहयोग और
मजबूत होगा. यह पूछे जाने पर कि क्या भारत-प्रशांत क्षेत्र में चीन के
बढ़ते दबदबे का जवाब देने के मकसद से चार देशों के साथ हाथ मिलाने के
मद्देनजर दोनों देशों की वायुसेनाओं के बीच सहयोग मजबूत होगा, इस पर
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे ऐसा लगता है और यह मेरी यात्रा तथा यहां मेरी बातचीत
का अहम हिस्सा है.’’
‘‘चतुष्पक्षीय
गठबंधन’’ का हवाला देते हुए अमेरिकी वायुसेना प्रमुख ने कहा कि चारों
देशों के बीच कई ऐसी प्राकृतिक समानताएं हैं कि वे नियम पर आधारित व्यवस्था
की रक्षा करने के लिए साथ मिलकर काम करें. उन्होंने कहा कि भारत और
अमेरिका की वायुसेनाओं के बीच कई स्तरों पर सहयोग बढ़ेगा. यह पूछे जाने पर
कि क्या अमेरिका दक्षिण चीन सागर में अपनी सैन्य मौजूदगी बढ़ाएगा, इस पर
गोल्डफिन ने प्रत्यक्ष तौर पर कोई जवाब नहीं दिया.
भारत,
अमेरिका और कई अन्य देश विवादित दक्षिण चीन सागर में नौवहन की स्वतंत्रता
पर जोर देते रहे हैं. अमेरिका नौवहन की स्वतंत्रता पर जोर देते हुए अपने
पोतों और विमानों को वहां भेजता रहा है.