जम्मू के बाहरी इलाके सुंजवान स्थित सेना
के एक शिविर में जवानों का ऑपरेशन खत्म हो गया है. रविवार को सुरक्षाबलों
ने इस हमले में शामिल दो और आतंकवादियों
को मार गिराया है। लगभग 30 घंटे तक चले इस ऑपरेशन में हमले को अंजाम देने
वाले चारों आतंकवादियों को ढेर कर दिया गया है। हालांकि पूरे आर्मी कैंप का
सेनेटाइजेशन का काम अभी जारी है, जो कल 12 फरवरी तक पूरा होगा।
आतंकियों को कैसे मिली स्थानीय मदद?
इस
आत्मघाती हमले के पीछे जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों के एक गुट का हाथ था।
मारे गए तीन आतंकियों के नाम क़री मुश्ताक, मोहम्मद आदिल और राशिद भाई
बताया गया है। सेना और खुफिया एजेंसियां इस बात की जांच में जुट गई हैं कि
इन आतंकियों को स्थानीय मदद कैसे मिली। आतंकियों से बड़ी मात्रा में
स्थानीय सामान जिसमें अंडर गारमेंट्स और ड्रॉई फ्रूट्स और दूसरे खाने-पीने
का सामान शामिल हैं।
मस्कट में पीएम मोदी को दी गई हमले की जानकारी
सेना
प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने ऑपेरशन के बारे में एनएसए (राष्ट्रीय सुरक्षा
सलाहकार) अजित डोभाल को जानकारी दी। एनएसए ने पूरे ऑपरेशन की जानकारी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दी। एनएसए पीएम के साथ मस्कट में विदेश
यात्रा पर मौजूद हैं।
रक्षा मंत्री को दी गई हालात की जानकारी
इससे
पहले सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने खुद जम्मू पहुंचकर हालात का जायजा
लिया। इसके बाद दिल्ली पहुंचकर उन्होंने रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण को
ताजा हालात की जानकारी दी। आतंकवादियों ने सुंजवां आर्मी कैंप के पीछे से
हमला किया था।
आतंकियों के खिलाफ ऐसे की गई कार्रवाई
आतंकियों के खिलाफ सेना के हेलिकॉप्टरों
और ड्रोनों की सहायता ली गई। बुलेटप्रूफ वाहनों से कैंप के पीछे के हिस्से
में आवासीय क्वार्टर से लोगों को निकाला गया। अधिकारियों द्वारा बचाव
अभियान पूरा होने के बाद छिपे हुए आतंकवादियों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई
की गई।
आर्मी कैंप पर हमले पर डिफेंस
पीआरओ ने बताया है कि 3 आतंकियों के शव बरामद किए गए हैं और इस हमले में 5
जवानों की शहादत हुई है। जबकि एक जवान के पिता की भी मौत हुई है. उन्होंने
बताया कि आतंकियों के हमले में महिला और बच्चों समेत 10 लोग घायल भी हुए
हैं।
रविवार को NIA (राष्ट्रीय जांच
एजेंसी) की टीम सुंजवां आर्मी स्टेशन पहुंची और एहतियात के तौर पर दमकल की
गाड़ियां भी मंगाई गईं। गौरतलब है कि जैश के आतंकियों ने सुंजवां में सेना
के ब्रिगेड हेडक्वार्टर पर हमला बोला था और सेना के फैमिली क्वार्टर्स में
शरण ली थी। दहशतगर्दों के खात्मे के लिए आर्मी ने इलाके की मजबूत घेराबंदी
की। साथ ही सुरक्षा बलों ने इस ऑपरेशन में चार एपीसी (आर्म्ड पर्सनल
कैरियर) वाहन उतारे।