देशभर के हॉस्टल्स में रह रहे दलित और
पिछड़े छात्रों के लिए खुशखबरी है. मोदी सरकार ने इन हॉस्टल्स में रह रहे
दलित, आदिवासी और पिछड़े छात्रों को हर महीने सस्ता अनाज देने का फैसला
किया है. इनमें देशभर के दलित हॉस्टल्स के अलावा वैसे सामान्य हॉस्टल भी
शामिल हैं जिनमें दलित और पिछड़े छात्रों की संख्या दो तिहाई से ज़्यादा
है. ऐसे हॉस्टल्स में रह रहे सामान्य श्रेणी के छात्रों को भी इस स्कीम में
शामिल किया जा सकता है.
15 किलो अनाज मिलेगा
योजना के मुताबिक़ देशभर में फ़ैले दलित
हॉस्टल्स में रह रहे सभी छात्रों को 15 किलो सस्ता अनाज सार्वजनिक वितरण
प्रणाली में मिलने वाले अनाज की दर पर दिया जाएगा. सार्वजनिक वितरण प्रणाली
के तहत फिलहाल 5.65 रूपए प्रति किलो चावल और 4 रूपए प्रति किलो गेंहूं
मिलता है. छात्रों के सामने 15 किलो की सीमा के अंदर इन दोनों अनाजों में
से कोई एक या फिर दोनों लेने का विकल्प रहेगा.
प्राइवेट हॉस्टल भी शामिल
योजना का क्रियान्वयन राज्य सरकारों की ओर
से मिलने वाली मांग के आधार पर होगा. इसलिए खाद्य मंत्रालय ने राज्य
सरकारों को चिठ्ठी लिखकर जल्द से जल्द योजना के लाभार्थी छात्रों और
हॉस्टल्स की पहचान कर केंद्र सरकार को भेजने के लिए कहा गया है.
ख़ास बात ये है कि योजना के तहत प्राइवेट
हॉस्टल्स में रह रहे छात्र भी शामिल किए गए हैं, जिनकी पहचान भी राज्य
सरकारों को करनी है. यहां ये बताना ज़रूरी है कि जो छात्र राष्ट्रीय खाद्य
सुरक्षा स्कीम के तहत पहले से ही 5 किलो अनाज प्रति महीने ले रहे हैं
उन्हें इन दोनों में से एक ही योजना का फ़ायदा मिलेगा. खाद्य सुरक्षा स्कीम
के तहत 3 रूपए प्रति किलो चावल और 2 रूपए प्रति किलो गेंहूं मिलता है.
1 करोड़ से ज़्यादा छात्रों को फायदा
इस योजना से 1 करोड़ से भी ज़्यादा
छात्रों को फ़ायदा मिलने का अनुमान है. इसमें क़रीब 13 लाख क्विंटल अनाज
ख़र्च होने का अनुमान है जिसे पूरी तरह केंद्र सरकार की ओर से दिया जाएगा.
खाद्य मंत्रालय का अनुमान है कि योजना के तहत उत्तर प्रदेश के लिए 2 लाख 24
हज़ार टन और बिहार के लिए 1 लाख 36 हज़ार टन खाद्यान्न आवंटित किया गया
है. खाद्य मंत्री राम विलास पासवान के शब्दों में, " छात्रों को आमतौर पर
आर्थिक संकट का सामना करना पड़ता है लेकिन इस योजना से उन्हें कुछ राहत
मिलेगी."
दलितों पर है नज़र
दलितों के ख़िलाफ़ हो रही घटनाओं के चलते मोदी सरकार लगातार विरोधियों के निशाने पर है. ऐसे में दलितों को साधने की दिशा में मोदी सरकार का ये एक अहम कदम हो सकता है. सरकार की नज़र खासकर दलित छात्रों पर है.