वास्तु कला के साथ इमारतों में की जाने वाली एक से एक कलाकार की बेजोड़ नजीर है लाल किला। यहां के छत्ता बाजार की दीवारों और छतों में शानदार और खूबसूरत मीनाकारी की गई है। लेकिन, यह कलाकारी सालों से सफेद चूने के नीचे छिपी हुई थी। अब जब इस जगह पर केमिकल के माध्यम से सफाई की गई तो नायाब मीनाकारी नजर आई। जानकार बताते हैं कि छत्ता बाजार में हर साल पंद्रह अगस्त के पहले तैयारियों के दौरान चूना पोत दिया जाता था, इस कारण मीनाकारी छिपी रही। अब भारतीय पुरातत्व विभाग (एएसआई)की तरफ से छत्ता बाजार को चूने से पोतने पर रोक लगा दी गई है, ताकि खूबसूरत कारीगरी का लुत्फ दर्शक उठा सकें। एएसआई की तरफ से लाल किले को सजाने-संवारने और चमकाने का काम तेजी से किया जा रहा है। इस काम को जल्द से जल्द पूरा करना है।
प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से निर्देश दिया गया है कि लाल किले में चल रहा काम इस महीने के अंत तक पूरा कर लिया जाए। पुरातत्व विभाग ने पहले लाहौरी गेट को चमकाया इसके बाद छत्ता द्वार, वहीं अब छत्ता बाजार को चमकाने का काम बड़ी ही तेजी से चल रहा है। इसी क्रम में मीनाकारी नजर आ गई। यहां ग्रेनाइट के पत्थर पर उकेरी गईं कलाकृतियां भी नजर आने लगी हैं। पुरातत्व विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि छत्ता बाजार पर ब्रिटिश शासनकाल से ही चूना फेरा जा रहा था, इससे इमारत को काफी नुकसान भी हुआ है। ऐतिहासिक इमारतों के संरक्षण में लगी संस्था विरासत के अध्यक्ष लखेंद्र सिंह ने बताया कि ब्रिटिशकाल के दौरान लालकिले के भीतर बनी चारदीवारी व कई महलों के अस्तित्व को खत्म कर दिया गया है। छत्ता बाजार पर चूना लगाकर मुगलकालीन स्थापत्यकला को भी मिटाया गया।