आखिरकार बसपा की धमकी के आगे मध्यप्रदेश सरकार को झुकना ही पड़ा। मायावती
की तरफ से कमलनाथ सरकार को धमकी देते हुए कहा गया था कि, “2 अप्रैल 2018 को
अनुसूचित जाति-जनजाति अधिनियम 1989 में संशोधन के खिलाफ हुए ‘भारत बंद’
प्रदर्शन के दौरान दर्ज किए गए मुकदमों को मध्य प्रदेश सरकार वापस ले। नहीं
तो बसपा समर्थन वापस लेने पर विचार कर सकती है।”
बता दें कि मध्य प्रदेश में कुल 230 सीटें हैं, जिसमें कांग्रेस को 114
सीटें, भाजपा को 109 और बसपा को 2 सीटें मिली हैं। सरकार बनाने के लिए
मध्यप्रदेश में कुल 116 सीटें चाहिए होती हैं।
चुनाव बाद मौके को देखते हुए बसपा ने कांग्रेस को समर्थन देने का ऐलान कर
दिया। अंतत: सरकार तो बन गयी लेकिन कांग्रेस की कमजोरी समझते हुए बसपा ने
मांग कर दी कि भारत बंद के दौरान दर्ज हुए मुकदमे वापस लिए जाए, नहीं तो
समर्थन वापस लिए जाएंगे।
अब इस मांग के बाद कमलनाथ सरकार में कानून मंत्री पीसी शर्मा ने बयान देते
हुए कह दिया है कि ‘भारत बंद’ प्रदर्शन के दौरान दर्ज किए गए केस वापस लिए
जाएंगे और इसके साथ ही पिछले 15 सालों में भाजपा सरकार की तरफ से दर्ज किए
गए ऐसे सभी मुकदमे भी वापस लिए जाएंगे।
वैसे कांग्रेस पार्टी भले ही मध्यप्रदेश में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी हो
लेकिन बसपा जिस तरीके से कांग्रेस पर अपना दबाव बनाने में कामयाब हुई है
उसको देखते हुए 2 सीटों के बाद भी कांग्रेस पर भारी नजर आ रही है।
वंदे मातरम गाने का रिवाज खत्म
मध्यप्रदेश सरकार ने सिर्फ मुकदमे वापस लेने का फैसला नहीं किया है
बल्कि हर महीने की एक तारीख को मंत्रालय में गाए जाने वाले वंदे मातरम को
भी बंद करने का फैसला लिया है। दरअसल सूबे में जब शिवराज सरकार थी तो एक
परंपरा शुरू की गई थी जिसमें मंत्रालय के सभी कर्मचारी महीने की पहली तारीख
को परिसर में इकट्ठा होकर एकसाथ राष्ट्रगीत मिलकर ‘वंदे मातरम’ गान करते
थे। लेकिन अब शिवराज सरकार ने इसे भी बंद करने का फैसला किया है।