अयोध्या विवाद को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला आ चुका है। जमीन
विवाद मामले में मध्यस्थता कमेटी की प्रगति रिपोर्ट गुरुवार 18 जुलाई को
सुप्रीम कोर्ट में पेश किया जाना था। इस रिपोर्ट को पांच जजों की पीठ
देखेगी फिर ये तय किया जाना था कि, 25 जुलाई से रोजाना राम मंदिर मामले में
सुनवाई होगी या नहीं।
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि, 31 जुलाई तक मध्यस्थ्ता जारी रहेगी और 2 अगस्त से रोजाना सुनवाई खुली कोर्ट में होगी.
बता दें, कुछ दिन पहले राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले के एक
पक्षकार गोपाल सिंह विशारद ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। अपनी
याचिका में गोपाल सिंह ने कहा था कि मध्यस्थता कमेटी के नाम पर विवाद
सुलझने के आसार बेहद कम हैं, क्योंकि इसमें तो सिर्फ समय बर्बाद हो रहा है,
इसलिए कोर्ट मध्यस्थता कमेटी खत्म कर स्वयं सुनवाई करके मामले का निस्तारण
करें।
गोपाल सिंह के वकील पीएस नरसिम्हा ने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस
दीपक गुप्ता और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की पीठ के सामने कहा था कि यह विवाद
पिछले 69 सालों से अटका पड़ा है और मामले को हल करने के लिए शुरू की गई
मध्यस्थता का रुख सकारात्मक नजर नहीं आ रहा है। 11 संयुक्त सत्र आयोजित किए
जा चुके हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि कोई निर्णय नहीं लिया जा सका है। यह
विवाद मध्यस्थता के जरिए सुलझाना मुश्किल है।
गोपाल सिंह विशारद की इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता कमेटी से
रिपोर्ट तलब की। इस प्रगति रिपोर्ट को आज सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की
संविधान पीठ देखेगी। बेंच अगर मीडिएशन प्रॉसेस से संतुष्ट नहीं हुई तो 25
जुलाई से रोजाना सुनवाई का ऐलान कर सकती है।
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुआई वाली पांच जजों की
संविधान पीठ ने सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस कलीफुल्ला की
अध्यक्षता में मध्यस्थता कमेटी बनाकर इस मसले को बातचीत के जरिए आपसी सहमति
से ही सुलझाने की पहल की थी। पहले शुरुआत में कमेटी को दो महीने यानी 8
हफ्ते दिए गए, फिर ये अवधि अगले 13 हफ्तों यानी 15 अगस्त तक के लिए बढ़ा दी
गई।