राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने शनिवार को अनंतनाग में फिर से
आम लोगों से मेल-मुलाकात की और अब सरकार सोमवार के बकरीद त्योहार के लिए
मौजूदा सुरक्षा तंत्र पर भरोसा करने की तैयारी में हैं। व्यक्तिगत रूप से
डोभाल के लिए और सामूहिक रूप से सरकार के लिए बहुत कुछ दांव पर है। राज्य
में बंदी लागू कर और स्थानीय आबादी का पाकिस्तान से संपर्क तोड़ कर सरकार
ने एक बड़ी राजनीतिक और कूटनीतिक जीत हासिल की है।
डोभाल खुद जमीनी स्तर पर स्थानीय लोगों से बात कर उन्हें समझते नजर आए कि
उनका एकमात्र विकल्प भारत और उसका विकास मॉडल है। कट्टरपंथी इस्लामी वहाबी
सलाफिज्म जो युवाओं को राजनीतिक जेहाद की आड़ में भड़काता है, भारत की सबसे
बड़ी चिंता है।
इस बात के मद्देनजर कि पुलवामा हमला एक स्थानीय फिदायीन द्वारा किया गया
था, भारत काफी सतर्कता के साथ कदम बढ़ा रहा है। हालांकि, सभी प्रमुख
राष्ट्र भारत के साथ हैं और उन्होंने इसे भारत का आंतरिक मामला बताया है,
लेकिन भाजपा की असली सफलता तब होगी, जब राज्य में बंदी समाप्त होने के बाद
सामान्य माहौल बना रहे।
डोभाल इस पूरी प्रक्रिया में एक खास भूमिका में दिखाई दे रहे हैं। लेकिन
सिर्फ सोमवार के ईद त्योहार पर ही केंद्र सरकार की परीक्षा नहीं होगी,
बल्कि पूरा सप्ताह मुश्किल भरा हो सकता है। 14 अगस्त को पाकिस्तान का
स्वतंत्रता दिवस है, जिसके बाद 15 अगस्त को भारत का स्वतंत्रता दिवस है, जब
दक्षिण कश्मीर की पंचायतें अशांत जिलों शोपियां, कुलगाम, पुलवामा और
अनंतनाग में भारतीय तिरंगा फहराएंगी।
दरअसल, भाजपा सरकार एक संदेश देने के लिए इन सभी क्षेत्रों में तिरंगा
फहराने पर जोर दे रही है। डोभाल घाटी में अर्धसैनिक बल, सेना के कमांडरों
और अन्य एकीकृत कमान के साथ लगातार संपर्क में हैं। भारत इस तरह का निर्णय
लेने के बाद संकल्प के इस प्रदर्शन में किसी भी पड़ाव पर कमजोर नहीं दिखना
चाहता।
सरकार ने इंतिफादा -पथराव और अलगाववादी आंदोलनों- के संभावित सभी नेताओं
को बड़ी सावधानी के साथ एयरलिफ्ट किया। अब यह बात सामने आई है कि इसकी
तैयारी एनएसए के पूर्ण समर्थन से 15 दिनों पूर्व ही कर ली गई थी।
परेशानी खड़ा कर सकने वाले तत्वों को आगरा और बरेली की जेलों में
स्थानांतरित कर दिया गया है। उत्तर प्रदेश में आगरा और बरेली में कई उच्च
सुरक्षा वाली जेलों का निरीक्षण आईबी और जेकेएपी की एक टीम ने किया था।
हरियाणा में भी इसी तरह किया गया। इसके बाद हरी झंडी मिलते ही एयरलिफ्ट
शुरू हुई और सशस्त्र काफिले का इस्तेमाल किया गया।
पूरी मजबूती के साथ कश्मीर घाटी में सुरक्षा ग्रिड को सभी घटनाओं और पथराव और हिंसक विरोध प्रदर्शन के लिए तैयार किया गया है।
लेकिन एक के बाद एक तीन महत्वपूर्ण दिनों पर सबकी नजरें होंगी कि डोभाल
और उनकी टीम क्या कर रहे हैं। एक बार इन तीन दिनों के शांति से गुजर जाने
के बाद भारत घाटी में स्थायी शांति लाने का समाधान तलाशने की कोशिश करेगा।