मोदी सरकार-1 में विदेश मंत्री रह चुकी सुषमा स्वराज की श्रद्धांजलि सभा
में पीएम मोदी ने उन्हें याद करते हुए कहा कि “सुषमा स्वराज कृष्ण भक्ति
को समर्पित थीं, कृष्ण उनके मन मंदिर में बसे रहते थे। हम जब भी मिलते थे
वो जय श्री कृष्ण कहती थीं, मैं उन्हें जय द्वारकाधीश कहता था।”
पीएम मोदी ने कहा कि “अगर उनकी जीवन यात्रा को देखें तो लगता है कि
कर्मण्येवाधिकारस्तु…क्या होता है सुषमा जी ने इसे दिखाया है।” उन्होंने
कहा कि जीवन की विशेषता देखिए सुषमा स्वराज ने सैकड़ों फोरम पर कई घंटे तक
जम्मू-कश्मीर और धारा-370 पर बोला होगा, एक तरह से वो इस मुद्दे से जी-जान
से जुड़ी थीं। जब जीवन का इतना बड़ा सपना पूरा हो, लक्ष्य पूरा हो और खुशी
समाती न हो…सुषमा जी के जाने के बाद जब मैं बांसुरी से मिला तो उन्होंने
कहा कि इतनी खुशी-खुशी वो गई हैं जिसकी शायद कोई कल्पना ही कर सकता है। इस
खुशी के पल को जीते-जीते वे श्रीकृष्ण के चरणों में पहुंच गईं।”
सुषमा स्वराज की भाषण शैली को याद करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि “सुषमा
स्वराज का भाषण प्रभावी होने के साथ-साथ, प्रेरक भी होता था। सुषमा जी के
वक्तव्य में विचारों की गहराई हर कोई अनुभव करता था, तो अनुभव की ऊंचाई भी
हर पल नए मानक पार करती थी। ये दोनों होना एक साधना के बाद ही हो सकता है।
सुषमा जी के व्यक्तित्व के अनेक पहलुओं को याद करते हुए पीएम मोदी ने
कहा कि, जीवन के अनेक पड़ाव थे और भाजपा के कार्यकर्ता के रूप में एक अनन्य
निकट साथी के रूप में काम करते हुए, वे असंख्य घटनाओं के जीवंत साक्षी रहे
हैं। एक व्यवस्था के अंतर्गत जो भी काम मिले, उसे जी जान से करना और
व्यक्तिगत जीवन में बड़ी ऊंचाई मिलने के बाद भी करना, ये बीजेपी के
कार्यकर्ताओं के लिए सुषमा जी की बहुत बड़ी प्रेरणा है।