भारतीय उपन्यासकार और एक्टिविस्ट अरुंधति रॉय ने अब भारतीय मीडिया में बने रहने के लिए नई तरकीब अपनाई है। जर्मन मीडिया संस्थान के सहारे झूठ फैला रही हैं।
इस बारे में अरुंधति ने ‘डीडब्ल्यू न्यूज़’ को इंटरव्यू दिया और भारत में कोरोना वायरस के प्रसार को लेकर अफवाह फैलाई। इतना ही नहीं बल्कि मोदी सरकार को बदनाम करने के चक्कर में लोगों के बीच डर का माहौल बनाने का भी प्रयास किया।
"The government's agenda has been this."
Author and writer Arundhati Roy spoke to DW about the 'stigmatization' of Muslims with the coronavirus illness in India.
2,529 लोग इस बारे में बात कर रहे हैं
उन्होंने बिना किसी सबूत के भारत में कोरोना के आंकड़ों को गलत बताना शुरू कर दिया। उनका कहना है कि ये आधिकारिक आंकड़े मोदी सरकार के हैं, वो इस पर जरा भी विश्वास नहीं करतीं।
इसके बाद उन्होंने ‘हिन्दू-मुस्लिम विवाद’ और ‘मुस्लिमों पर अत्याचार’ वाले मुद्दे उठाये और कहा कि कोरोना के कारण भारत की ‘पोल खुल गई’ है।अरुंधति का दावा है कि भारत न सिर्फ कोरोनावायरस, बल्कि घृणा और भूख से भी बेहाल है, कोरोना के कारण मुस्लिमों के खिलाफ घृणा में बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने दिल्ली में हुए हिन्दू-विरोधी दंगों को भी मुस्लिमों के नरसंहार करार दिया और कहा कि उसके बाद से ही घृणा में बढ़ोतरी हुई है। वो यहाँ तक झूठ बोल बैठीं कि दिल्ली में हुए दंगे सीएए के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों पर अत्याचार के रूप में हुए थे।
अरुंधति ने दवा किया है कि मोदी सरकार कोरोना की आड़ में मीडिया को दबा रही है। उनका कहना है कि युवा नेताओं को गिरफ्तार किया जा रहा है और विरोधियों को कुचला जा रहा है। इससे उनका इशारा राजद छात्र नेता हैदर की ओर था, जिसे दिल्ली दंगों में उसकी भूमिका के कारण गिरफ्तार किया गया है। इतना ही नहीं वो दंगा करने वालों पर कार्रवाई का विरोध करती हैं। जिन पत्रकारों और एक्टिविस्ट्स को वो सपोर्ट करती हैं, उनमें से कई हिंसा फैलाने के आरोपित हैं।