भारत और जापान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शिंजो आबे के बीच संभावित शिखर सम्मेलन की तारीखों पर चर्चा शुरू कर दी है। माना जा रहा है कि यह वार्ता अक्टूबर के आसपास हो सकती है। वहीं उम्मीद जताई जा रही है कि शिखर सम्मेलन में विस्तारवादी चीन पर को घेरने की रणनीति पर चर्चा होगी, जो कि भारत के साथ अपनी सीमाओं और पूर्वी चीन सागर में सेनकाकू द्वीप समूह के आसपास यथास्थिति को बदलने की कोशिश कर रहा है। मामले से जुड़े लोगों ने हिंदुस्तान टाइम्स को यह जानकारी दी।
पहले मोदी और आबे के बीच यह शिखर सम्मेलन पिछले साल दिसंबर में गुवाहाटी में होना था, लेकिन नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन की वजह से असम को बंद कर दिया गया था। इसके बाद समिट की अगली तारीख तय नहीं हो सकी थी क्योंकि इसके तुरंत बाद ही चीन में पैदा हुए कोरोन वायरस ने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया और करीब 6 लाख लोगों अपनी जान गंवानी पड़ी, जबकि वैश्विक अर्थव्यवस्था धराशायी हो गई।
एक तरफ जहां दुनिया वैश्विक महामारी से जूझ रही थी, ऐसे में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग दक्षिण चीन सागर में अपने क्षेत्र और भारत के साथ अपनी सीमा का विस्तार करने में काफी सक्रिय हो गए। इसने लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास अपनी सेना को हटाने के लिए हाल ही में प्रक्रिया शुरू की है, लेकिन सैन्य वापसी की इस प्रक्रिया को जानबूझकर धीमा रखा गया है।
दक्षिण चीन सागर में चीन के रवैये से नाराज है जापान
कुछ दिन पहले ही जापान की सरकार ने कहा कि चीन क्षेत्रीय सागरों में अपना दावा करने के ज्यादा से ज्यादा प्रयास करने के साथ ही अपना प्रभाव बढ़ाने और सामरिक श्रेष्ठता को स्थापित करने के लिए कोरोना वायरस वैश्विक महामारी का प्रयोग कर रहा है जो जापान और क्षेत्र के लिए अधिक खतरा पैदा कर रहे हैं। सरकार की रक्षा प्राथमिकताओं को दर्शाने वाली रिपोर्ट को प्रधानमंत्री शिंजो आबे की कैबिनेट ने मंगलवार (14 जुलाई) को स्वीकार किया। इससे एक दिन पहले ट्रंप प्रशासन ने एक बयान जारी कर दक्षिण चीन सागर में बीजिंग के लगभग सभी अहम समुद्री दावों को खारिज कर दिया था। आबे सरकार ने 'डिफेंस व्हाइट पेपर 2020' इस बात का विशेष उल्लेख किया है कि चीन आक्रामक तरीके से पूर्वी चीन सागर व दक्षिण चीन सागर में अपने कदम बढ़ाने के साथ ही जबरदस्ती यथास्थिति को बदलने की भरपूर कोशिश कर रहा है।
एक अधिकारी ने कहा कि शिखर सम्मेलन अक्टूबर में हो सकता है, उससे पहले इसके होने की गुंजाइश नहीं है। उन्होंने कहा, "अभी यह तय नहीं है कि पीएम आबे शिखर सम्मेलन के लिए भारत की यात्रा करेंगे जैसा कि पहले तय किया गया था या फिर वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए शिखर बैठक का आयोजन होगा।"
जापान के अलावा भारत आसियान के दूसरे देशों के साथ भी रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने पर जोर दे रहा है। ये वही देश हैं जो चीन की विस्तारवादी नीतियों से परेशान हैं। अधिकारी ने कहा, "उम्मीद है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फिलीपींस के राष्ट्रपति रोड्रिगो दुतेर्ते के बीच भी एक बैठक हो।" इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यह बैठक भी संभवतया अक्टूबर में हो सकती है। राष्ट्रपति रोड्रिगो मार्च में भारत दौरे पर आने वाले थे, लेकिन वैश्विक महामारी की वजह से इस द्विपक्षीय बैठक को टाल दिया गया। आपसी सुरक्षा सहयोग को बढ़ाने के अतिरिक्त भारत और फिलीपींस इस बात को सुनिश्चित करने के लिए लिए हाथ मिला सकते हैं कि दक्षिण चीन सागर में जहाजों की आवाजाही और हवाई मार्ग मे कोई बाधा ना पहुंचे।
उल्लेखनीय है कि चीन 13 लाख वर्ग मील में फैले दक्षिण चीन सागर के लगभग सभी हिस्सों पर अपना दावा करता है। वह ब्रूनेई, मलेशिया, फिलीपींस, ताइवान और वियतनाम के दावे वाले इलाके में कृत्रिम द्वीप बनाकर उनपर सैन्य ठिकाना स्थापित कर रहा है।