क्या होती है CBI को दी गई सामान्य सहमति और इसे वापस लेने का क्या पड़ेगा असर?

महाराष्ट्र की उद्धव सरकार ने बुधवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को दी गई सामान्य सहमति को वापस ले लिया। इसका मतलब यह है कि अब बिना इजाजत सीबीआई महाराष्ट्र में किसी भी नए मामले की जांच नहीं कर सकेगी। हालांकि, पुराने मामले, जिसमें सीबीआई को उद्धव सरकार से सहमति मिल चुकी है, उसमें जांच करने का पूरा हक होगा। उद्धव सरकार से पहले आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल और राजस्थान सरकार भी सीबीआई को दी गई सामान्य सहमति वापस ले चुकी है। उद्धव सरकार ने यह सहमति जांच एजेंसी से तब ली है, जब वह सुशांत सिंह राजपूत की मौत मामले और फिर टीआरपी स्कैम को लेकर सुर्खियों में है। सुशांत केस में जहां सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच का आदेश दिया था, तो वहीं कथित टीआरपी स्कैम में लखनऊ में एफआईआर दर्ज होने के बाद यूपी सरकार ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी। लेकिन, इसके बीच सभी के मन में यह सवाल खड़े हो रहे होंगे कि आखिर सीबीआई को दी गई सामान्य सहमति क्या होती है और अगर कोई राज्य सरकार इसे वापस ले लेती है तो फिर क्या होगा। ऐसे में यहां जानिए इससे जुड़ी सभी बातें:


सामान्य सहमति क्या है?

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के विपरीत, जो अपने स्वयं के एनआईए अधिनियम द्वारा शासित होती है और जिसका देशभर में अधिकार क्षेत्र है, सीबीआई दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम द्वारा शासित की जाती है। यह अधिनियम उसे किसी भी राज्य में जांच के लिए एक राज्य सरकार की सहमति को अनिवार्य करता है।

दो तरह की होती हैं सहमति

कुल दो प्रकार की सहमति होती हैं। पहली केस स्पेसिफिक और दूसरी जनरल (सामान्य)। यूं तो सीबीआई का अधिकार क्षेत्र केंद्र सरकार के विभागों और कर्मचारियों पर है, लेकिन राज्य सरकार से जुड़े किसी मामले की जांच करने के लिए उसे राज्य सरकार की सहमति की जरूरत होती है। इसके बाद ही, वह राज्य में मामले की जांच कर सकती हे।

क्या सीबीआई अब महाराष्ट्र में कोई जांच नहीं कर पाएगी?

सीबीआई ने जनरल कन्सेन्ट वापसी से पहले तक महाराष्ट्र में जो भी केस दर्ज किए हैं, उनकी जांच वह कर सकेगी। छापेमारी को लेकर स्थिति बहुत साफ नहीं है, लेकिन पुराने मामलों में रेड मारने के लिए कोर्ट से वॉरंट लिया जा सकता है। वैसे, सीबीआई दूसरे राज्यों में दर्ज केस के तार महाराष्ट्र से जुड़े हों तो उस सिलसिले में महाराष्ट्र में जांच कर सकती है। दिल्ली हाईकोर्ट ने 2018 में छत्तीसगढ़ के एक मामले में आदेश दिया था, जिसके मुताबिक केस का तार दिल्ली से जुड़ा हो तो सीबीआई दिल्ली में केस दर्ज कर सकती है और फिर उस केस की जांच कहीं भी कर सकती है।

सामान्य सहमति के वापस लेने का क्या मतलब?

इसका सीधा मतलब है कि सीबीआई बिना केस स्पेसिफिक सहमति मिले इन राज्यों में किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कोई नया मामला नहीं दर्ज कर पाएगी। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, सीबीआई अधिकारी ने बताया कि सामान्य सहमति को वापस लेने का मतलब है कि राज्य सरकार की अनुमति के बिना इन राज्यों में प्रवेश करते ही किसी भी सीबीआई अफसर के पुलिस अधिकारी के रूप में मिले सभी अधिकार खत्म हो जाते हैं।

पहले किस-किस राज्य सरकार ने लागू की नो एंट्री?

यह पहली बार नहीं है जब किसी राज्य सरकार ने अपने यहां सीबीआई की जांच के लिए उसकी एंट्री को रोक दिया हो। इससे पहले, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश और राजस्थान सरकार तो ऐसा कर ही चुकी हैं। इसके साथ ही कई अन्य राज्य भी अपने यहां सामान्य सहमति को वापस ले चुके हैं। सिक्किम, नागालैंड, छत्तीसगढ़ सरकार भी जनरल कंसेंट को वापस ले चुकी है।