राजद के कई प्रमुख चेहरों ने इस बार पुराने मैदान से किनारा कर लिया है। वे नए अखाड़े में खम ठोक रहे हैं। नए अखाड़े में लड़ाके भी नए हैं, सो इस बार दांव-पेच भी अलग अपनाने होंगे। अखाड़ा बदलने वालों में पार्टी के कद्दावर नेता अब्दुल बारी सिद्दिकी, राष्ट्रीय महामंत्री भोला यादव, पूर्व मंत्री और विधायक तेजप्रताप यादव, शिवचंद्र राम आदि नाम शामिल हैं।
इस विधानसभा चुनाव में कई क्षेत्रों के हालात अब जुदा हैं। करीब आधा दर्जन क्षेत्रों में इस बार राजद के पुराने लड़ाके दिखाई नहीं देंगे। जातिगत और सामाजिक समीकरण सहित विभिन्न कारणों से इन नेताओं ने अपने लिए नया चुनाव क्षेत्र चुना है। इनमें पहला नाम लालू प्रसाद के बड़े पुत्र तेजप्रताप यादव का है। तेजप्रताप ने पिछला चुनाव महुआ विधानसभा क्षेत्र से लड़ा था। इस बार वे हसनपुर सीट से चुनाव मैदान में हैं। राजद के कद्दावर नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी इस बार अलीनगर से नहीं लड़ रहे। उन्हें अलीनगर की अपेक्षा केवटी सीट खुद के लिए ज्यादा मुफीद दिख रही है।
नए समीकरण के साथ जीत दर्ज करने की चुनौती
पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव भोला यादव ने भी इस बार चुनाव मैदान बदल लिया है। वे दरभंगा की बहादुरगंज की जगह हायाघाट से मैदान में उतर रहे हैं। पार्टी के दलित चेहरों में शुमार शिवचंद्र राम को भी इस बार वैशाली की राजा पाकड़ सीट रास नहीं आई। वे इस बार पातेपुर से लड़ेंगे। इस फेहरिस्त में अगला नाम यदुवंश यादव का है। पिपरा के मौजूदा विधायक यदुवंश अबकी बार निर्मली से पार्टी प्रत्याशी बने हैं। अब इन सभी पार्टी प्रत्याशियों के सामने नए क्षेत्रों में नए चुनावी समीकरण के साथ जीत दर्ज करने की चुनौती है। पिछले चुनाव की अपेक्षा इस बार गठबंधनों की स्थिति भी अलग है।
जदयू की सूची देख कई जगह बदले प्रत्याशी
राजद इस बार जातिगत गणित पर पूरा जोर दे रहा है। पार्टी का फोकस उन सीटों पर है, जहां जदयू चुनाव लड़ रहा है। जदयू के प्रत्याशियों की सूची देखने के बाद राजद ने अपने कई प्रत्याशी बदल दिए। पार्टी सूत्रों की मानें तो हरसिद्धी और केसरिया के सीटिंग विधायकों का टिकट भी इसी गणित के तहत बदला गया है।