पूर्व सीबीआई निदेशक आरके राघवन ने अपनी ऑटोबायोग्राफी में अपने जीवन के कई किस्सों का खुलासा किया है। इस आत्मकथा में उन्होंने उस समय को भी याद किया है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गुजरात दंगो के मामले में क्लिन चिट दी गई थी। उन्होंने इसमें बताया कि मोदी विरोधियों ने इस क्लिन चिट देने के बाद उन्हें कितना प्रताड़ित किया।
समाचार पत्र ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ के अनुसार, अपनी बॉयोग्राफी ‘अ रोड वेल ट्रैवल्ड’ (A Road Well Travelled) में सीबीआई के पूर्व निदेशक राघवन लिखते हैं, “उन्होंने मेरे के ख़िलाफ़ याचिकाएँ दर्ज की, मुझपर सीएम को समर्थन देने का आरोप लगाया। इतना ही नहीं, केंद्रीय जाँच एजेंसी का इस्तेमाल करके फोन पर होने वाली बातचीत पर भी निगरानी रखी गई। हालाँकि, अंत में सबको निराशा हाथ लगी क्योंकि उन्हें कुछ नहीं मिला।”
यहाँ बता दें कि वर्ष 2002 में गुजरात के साम्प्रदायिक दंगों में नरेंद्र मोदी पर जो आरोप लगे थे उनकी जाँच के लिए सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एसआईटी का गठन हुआ था। आरके राघवन ने उसी एसआईटी का नेतृत्व किया था। अपनी किताब में उन्होंने दावा किया कि उन्होंने उस समय आईपीएस ऑफिसर संजीव भट्ट के उन दावों का भी विरोध किया था जिसमें भट्ट द्वारा कहा गया था कि वह उस बैठक का हिस्सा थे जिसमें नरेंद्र मोदी ने ‘हिंदुओं की भावना ओवरफ्लो’ होने पर पुलिस हस्तक्षेप को मना किया था। राघवन का कहना था कि इस आरोप की कोई पुष्टि नहीं थी।
SIT ने फरवरी, 2012 में एक ‘क्लोजर रिपोर्ट’ दायर की, जिसमें नरेंद्र मोदी और 63 अन्य लोगों को क्लीन चिट दी गई थी। इनमें कई वरिष्ठ सरकारी अधिकारी भी शामिल थे। रिपोर्ट में कहा गया था कि इनके खिलाफ कोई कानूनी सबूत नहीं मिला था।
अपनी किताब में राघवन याद करते हैं कि कैसे इस केस में नरेंद्र मोदी से पूछताछ हुई। वह बताते हैं, “हमने उनके (नरेंद्र मोदी के) स्टाफ को संदेश भेजा कि उन्हें इसके लिए व्यक्तिगत तौर पर एसआईटी दफ्तर आना होगा और अगर यह मीटिंग किसी अन्य जगह हुई तो इसे गलत समझा जा सकता है कि पक्ष लिया जा रहा है।”
राघवन ने आगे लिखा, “वह (मोदी) हमारे इस फैसले की भावना को समझ गए और गाँधीनगर में गवर्नमेंट कॉम्पलेक्स में ही स्थित एसआईटी दफ्तर आने के लिए तुरंत तैयार हो गए।” इसके बाद पूर्व पुलिस अधिकारी ने एक ‘असामान्य कदम’ उठाते हुए एसआईटी सदस्य अशोक मल्होत्रा को पूछताछ करने के लिए कहा ताकि बाद में उनके और मोदी के बीच कोई डील होने का आरोप न लगा सके। मोदी से करीब 9 घंटे पूछताछ हुई। मल्होत्रा ने बाद में आर के राघवन को बताया कि कैसे देर रात तक पूछताछ के बाद मोदी संयम के साथ बैठे हुए थे।
राघवन ने लिखा है कि उन्होंने (मोदी) ने किसी सवाल के जवाब में टालमटोल नहीं की। जब मल्होत्रा ने उनसे पूछा कि क्या वह दोपहर के भोजन के लिए ब्रेक लेना चाहेंगे, तो उन्होंने शुरू में इसे ठुकरा दिया। वह पानी की बोतल खुद लेकर आए थे और लंबी पूछताछ के दौरान उन्होंने एसआईटी की एक कप चाय भी स्वीकार नहीं की।