जम्मू कश्मीर में अब अन्य राज्यों के लोग शहरी भूमि और अचल संपत्ति को खरीद सकते हैं। केन्द्र सरकार ने इस बारे में नए कानून को लेकर नोटिफाई करते हुए केन्द्र शासित प्रदेश को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ दिया है। इससे पहले, सिर्फ जम्मू कश्मीर के लोगों को ही राज्य की जमीन खरीदने की इजाजत थी।
लेकिन, केन्द्र सरकार की तरफ से पिछले साल अगस्त में राज्य को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी बनाए जाने और उसके दो टुकड़े कर केन्द्र शासित प्रदेश बनाए जाने के बाद इस बदलाव का रास्ता साफ हो पाया।
एक गजट अधिसूचना में, केंद्र ने जम्मू और कश्मीर विकास अधिनियम की धारा 17 से "राज्य के स्थाई निवासी" वाक्यांश को हटा दिया है, जो केंद्र शासित प्रदेश में भूमि के निपटान से संबंधित है। जम्मू कश्मीर के उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा ने यह साफ किया कि नया कानून कृषि भूमि पर लागू नहीं होगा।
केन्द्र के इस कदम के बाद वहां की स्थानीय पार्टियों ने इसका कड़ा विरोध किया है। पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट करते हुए कहा- "जम्मू कश्मीर में जमीन के मालिकाना हक में संशोधन अस्वीकार्य है। यहां तक कि जब गैर कृषि भूमि की खरीद और कृषि भूमि का ट्रांसफर आसान बनाने के बाद डोमिसाइल का टोकनिज्म दूर कर दिया गया है। जम्मू कश्मीर अब बिक्री के लिए है और गरीब व छोटे मालिकों को नुकसान होगा।"
पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की चीफ महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट करते हुए कहा- "लोगों को रोटी और रोजगार देने के सभी मोर्चे पर विफल रहने के बाद बीजेपी भोले मतदाताओं को खुश करने के लिए ऐसे कानून बना रही है। इस तरह के कठोर कदमों के खिलाफ जम्मू-कश्मीर के सभी तीन प्रांतों के लोगों को एकजुटता से लड़ने की ज़रूरत हैं।"
सीपीएम नेता सीताराम येचुरी ने ट्वीट करते हुए कहा- यह हाईवे डकैती है। जम्मू कश्मीर के संसाधनों और सुंदर भू-भाग की डकैती है।