वैज्ञानिकों ने पेप्टिक कैंसर का पता लगाने की एक सस्ती और आसान तकनीक विकसित की है। इसमें फूक मारने से ही पता चल जाएगा कि बीमारी है या नहीं।कोलकात्ता स्थित एस एन बोस सेंटर फार बेसिक साइंसेज ने ब्रेथप्रिंट तकनीक के जरिये पेप्टिक कैंसर का पता लगाने की तकनीक खोजी है।
ब्रेथ प्रिंट का मतलब सांसों की छाप। इसे आप उसी तरह से समझ सकते हैं जैसे फिंगर प्रिंट से किसी व्यक्ति की पहचान की जा सकती है। उसी प्रकार ब्रेथ प्रिंट से यह पता लगाया जा सकता है कि किसी व्यक्ति के पेट में किस जीवाणु का संक्रमण है।
यह शोध वरिष्ठ वैज्ञानिक माणिक प्रधान ने किया है। उन्होंने बताया कि जीवाणु हैलिको बैक्टर पाइलोरी के संक्रमण के कारण पेट में अल्सर होता है जो बाद में पेप्टिक कैंसर का स्वरूप धारण कर लेता है।
इसकी पहचान मौजूद समय में एंडोस्कोपी एवं बायोप्सी तकनीकों के जरिये हो सकती है। ये दोनों तकनीकें सिर्फ बड़े अस्पतालों में उपलब्ध हैं। जांच प्रक्रिया पीड़ादायक है और महंगी भी।
प्रधान ने इसकी जांच के लिए एक उपकरण पायरोब्रेथ तैयार किया है। इस उपकरण में फूक मारने से पता चल जाता है कि किसी व्यक्ति को उपरोक्त वायरस का संक्रमण है या नहीं। उन्होंने कहा कि यदि पेट में वायरस का संक्रमण है तो उसकी छाप सांसों में आ जाती है जिसका पता इस उपकरण से लग जाता है। शोध एनालिटिकल केमिस्ट्री में भी प्रकाशित हुआ है।
उन्होंने कहा कि इस तकनीक का एक अस्पताल में परीक्षण चल रहा है तथा उम्मीद है कि अगले साल के आरंभ में यह पूरा हो जाएगी। उन्होंने कहा कि तीन कंपनियों ने इस तकनीक को बाजार में उतारने में दिलचस्पी दिखाई है। परीक्षण पूरे होते ही इसकी तकनीक हस्तांतरित कर दी जाएगी।