फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों की तरफ से पैगंबर मोहम्मद के कार्टून को लेकर जो बयान दिया गया था, उसके खिलाफ दुनियाभर के मुस्लिम देशों में भारी गुस्सा है। इस बीच, 2 अक्टूबर को फ्रांस के राष्ट्रपति ने 'इस्लामिक अलगवावाद' पर शिकंजा कसने को लेकर बयान दिया था।
उन्होंने इसको लेकर कई कदम बताए थे जिस बिल बनाकर संसद में पेश किया जाएगा। इनमें मस्जिदों की फानेंसिंग, धार्मिक समुदायों से जुड़े स्कूलों और धर्मिक संगठनों पर कड़ी नजर उठाने की बात कही गई है।
उन्हें अपने भाषण के दौरान कहा था कि इस्लाम धर्म वैश्विक संकट के दौर से गुजर रहा है। उनके इस बयान को लेकर मुस्लम देशों में भारी नाराजगी है और वे सभी उनके खिलाफ जोरदार प्रदर्शन कर रहे हैं।
इधर, फ्रांस के गृह मंत्री गेराल्ड डर्मानियन ने एक न्यूजपेपर ला वायक्स दू नोर्ड को दिए इंटरव्यू में कहा कि फ्रांस ने इस्लामिक कट्टरवाद के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया है। इसके साथ ही, उन्होंने इस बिल के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
डार्मेनियन की एक टिप्पणी ने फ्रांस के मुस्लिम अल्पसंख्यक जो यूरोप में वहां पर सबसे ज्यादा है, उसे नाराज किया है। उन्होंने कहा कि अगर कोई विपरीत लिंग से इलाज कराने से मना करता है तो उसे पांच वर्ष की कैद होगी और 75 हजार यूरो का जुर्माना हो सकता है।
डार्मेनियन ने कहा कि यह नियम उन लोगों पर भी लागू होगा जो सरकार अधिकारियों को दबाव डालने की कोशिश करेंगे या फिर महिला टीचर से पढ़ने से इनकार करेगा। उन्हें भी यह सजा मिलेगी। हालांकि, अस्पष्टता के चलते सोशल मीडिया पर इसके खिलाफ आवाजें उठ रही है और विपरीत लिंग वाले डॉक्टर और नर्स से इलाज ना कराने पर भारी-भरकम जुर्माने और जेल को लेकर जिरह की जा रही है।