पंजाब सरकार संविधान का पालन करने में विफल: हाई कोर्ट की गंभीर टिप्पणी, केंद्र को 500 करोड़ रुपए का नुकसान

पंजाब में ‘रेल रोको’ आंदोलन के कारण भारतीय रेलवे को राजस्व में लगभग 500 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। ऑल इंडस्ट्रीज एंड ट्रेड फोरम के अध्यक्ष बद्रीश जिंदल ने कहा कि राज्य के कारोबारियों को कुल मिलाकर करीब 5000 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है, क्योंकि ‘किसानों’ द्वारा रेल लाइन को बंद करने का अभियान जारी है। इस्पात उद्योग से लेकर आवश्यक वस्तुओं तक, पंजाब में लगभग हर चीज की कमी है। पंजाब सरकार की निष्क्रियता के कारण, बिजली स्टेशनों को बिजली उत्पादन के लिए कोयला नहीं मिल पा रहा है, जिससे राज्य भर में बिजली की भारी कमी हो रही है।


हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार को कानून के नियम का पालन करने में विफल बताया

पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने पंजाब सरकार द्वारा रेलवे पटरियों को खाली कराने में विफलता पर नाराजगी व्यक्त की। उच्च न्यायालय ने 29 अक्टूबर को कहा था कि पंजाब सरकार कानून-व्यवस्था को संभालने में असमर्थ है। उच्च न्यायालय ने यहाँ तक ​​कहा था कि यदि सरकार पटरियों को खाली कराने में विफल रहती है, तो वह एक आदेश जारी करेगी और उस पर लिखा होगा कि पंजाब सरकार संविधान का पालन करने में विफल रही है।

केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल सत्यपाल जैन ने अदालत को बताया कि पंजाब सरकार राज्य में माल गाड़ियों को न चलने देने के लिए केंद्र को दोषी ठहराने की कोशिश कर रही है। मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिख कर राज्य में माल और यात्री ट्रेनों को फिर से शुरू करने की माँग की।

जैन ने कहा कि पंजाब सरकार का दावा है कि पटरियाँ खाली हैं, लेकिन कई जगहों पर ट्रेनों को रोककर तलाशी ली जा रही है। उच्च न्यायालय ने पंजाब सरकार और केंद्र को जल्द से जल्द समस्या का हल खोजने का निर्देश दिया था।

पंजाब सरकार ने कोयले की कमी के लिए केंद्र पर दोषारोपण किया

एक सोशल मीडिया पोस्ट में पंजाब सरकार ने कहा था, “मालगाड़ियों के निलंबन के कारण पंजाब के कोयले के भंडार पूरी तरह से खाली हो गए हैं। पिछले थर्मल पावर प्लांट के परिचालन में कटौती के कारण उपभोक्ता बड़े पैमाने पर बिजली कटौती का सामना कर रहे हैं।” इस पोस्ट को पंजाब सरकार के फेसबुक और ट्विटर अकाउंट से श्यर किया गया था।

विधानसभा में अपने बयान के दौरान सिंह ने कहा कि पीएसपीसीएल उत्तरी ग्रिड को 12.23 रुपए प्रति यूनिट के हिसाब से दैनिक भुगतान कर रहा है और साथ ही 8.73 रुपए का अनिर्धारित लेन-देन चार्ज भी दे रहा है क्योंकि राज्य को बिजली स्टेशनों के लिए कोयला नहीं मिल पा रहा है।

पंजाब सरकार द्वारा किया गया सोशल मीडिया पोस्ट

नेटिज़न्स ने पंजाब सरकार के दावे का तुरंत खंडन किया और कैप्टन अमरिंदर सिंह से भारतीय रेलवे को दोष देने के बजाय रेलवे ट्रैक को खाली कराने का आग्रह किया।

रिपोर्टों के अनुसार, आंदोलनकारी जंडियाला, जगराओं, फिल्लौर, मुक्तसर, करतारपुर, फाजिल्का, रोमाना अल्बेल सिंह, गंगसर जैतो, फरीदकोट, फिरोजपुर, बटारी, मोगा, और मखु में रेल सेवाओं को रोक रहे हैं। हर जगह पर लगभग 10 से 20 आंदोलनकारी पटरियों को अवरुद्ध कर रहे हैं। उन्होंने पटरियों की पूर्ण नाकाबंदी सुनिश्चित करने के लिए कई स्थानों पर टेंट लगाए हैं।

पीयूष गोयल ने पंजाब सरकार से पटरियों को खाली कराने का अनुरोध किया था

26 अक्टूबर को पंजाब में माल और यात्री गाड़ियों को फिर से शुरू करने की कैप्टन अमरिंदर की माँग के जवाब में, रेल मंत्री पीयूष गोयल ने पंजाब सरकार से पूरी सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह किया था। उन्होंने कहा था कि वो रेल ट्रैक पर से आंदोलनकारियों को हटाएँ, सेवाओं की पूरी तरह से बहाली के लिए सुरक्षा की गारंटी दें।

गोयल ने पंजाब के सीएम को लिखे पत्र में कहा था कि रेलवे ने 23 अक्टूबर को माल परिचालन शुरू किया था, लेकिन पटरियों की छिटपुट नाकाबंदी जारी रहने के कारण इसे रोक दिया गया। सुगम सेवाओं को बाधित करते हुए आंदोलनकारी अभी भी पावरहाउस और रेलवे स्टेशनों के बाहर हैं।

उन्होंने आगे कहा, “नाकाबंदी की कुल निकासी के बिना, हमारे कर्मचारी, विशेष रूप से लोको पायलट और गार्ड गाड़ियों को चलाने के बारे में आश्वस्त नहीं हैं।” आंदोलनकारियों द्वारा लोको पायलटों के साथ मारपीट की भी खबरें थीं। गोयल ने यह भी उल्लेख किया कि आंदोलन के कारण पंजाब में माल की 200 से अधिक रेक फँसी हुई थीं।

किसान बिलों को लेकर रेल रोको आंदोलन के कारण ट्रेन सेवाएँ स्थगित

पंजाब में रेल रोको आंदोलन सितंबर में शुरू हुआ, जिसके बाद रेलवे ने सुरक्षा कारणों को बताते हुए राज्य में अपनी सेवाओं को स्थगित कर दिया। सेवाओं को थोड़े समय के लिए फिर से शुरू किया गया, लेकिन फिर से निलंबित कर दिया गया क्योंकि पंजाब सरकार पटरियों को खाली कराने में विफल रही।

सितंबर में, केंद्र सरकार ने कृषि उद्योग के लिए तीन नए बिलों की घोषणा की। इन बिलों का उद्देश्य बिचौलियों को उपज की बिक्री और खरीद से दूर करना है। हालाँकि, विपक्षी दलों ने न्यूनतम विक्रय मूल्य (MSP) को हटाने के प्रयास के रूप में बिलों को चित्रित करने का प्रयास किया और आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने कृषि व्यवसाय में बड़े खिलाड़ियों की सुविधा के लिए इन बिलों को लाया। कैप्टन अमरिंदर ने नए नियमों को दरकिनार करने के लिए एक प्रस्ताव पेश किया था।