संकट में फंसे लक्ष्मी विलास बैंक के लिए RBI का प्लान, DBS के साथ होगा मर्जर

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने मंगलवार को घोषणा की कि लक्ष्मी विलास बैंक (LVB) का DBS बैंक इंडिया लिमिटेड (DBIL) के साथ मर्जर किया जा सकता है। RBI की ओर से ड्राफ्ट स्कीम का ऐलान बैंक पर एक महीने का मोराटोरियम लगाए जाने और अधिकतम 25 हजार रुपए निकासी सीमा तय किए जाने के तुरंत बाद किया गया। 


सरकार ने वित्तीय संकट से गुजर रहे निजी क्षेत्र के लक्ष्मी विलास बैंक पर एक महीने तक के लिए पाबंदियां लगा दी हैं और बैंक का कोई खाताधारक ज्यादा से ज्यादा 25,000 रुपये तक की निकासी कर सकेगा। बैंक की खस्ता वित्तीय हालत को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक की सलाह के बाद सरकार ने यह कदम उठाया है।


रिजर्व बैंक ने कहा है कि DBIL में मर्जर से 2,500 करोड़ रुपए की अतिरिक्त पूंजी आएगी। DBIL DBS बैंक लिमिडेट सिंगापुर की सब्सिडियरी है। DBIL का बैलेंस शीट काफी मजबूत है। 30 जून 2020 को इसके पास 7,109 करोड़ रुपए की पूंजी थी। इसी दौरान GNPAs और NNPAs क्रमश: 2.7 पर्सेंट और 0.5 पर्सेंट था।


RBI ने कहा, ''पूंजी के अच्छे स्तर के कारण प्रस्तावित विलय के बाद DBIL का कंबाइन्ड बैलेंस शीट भी मजबूत रहेगा।'' केंद्रीय बैंक ने एलवीबी और डीबीआईएल के जमाकर्ताओं और क्रेडिटर्स से कहा है कि यदि उनके पास कोई सलाह या आपत्ति है तो दर्ज कराएं। ड्राफ्ट स्कीम को दोनों बैंकों के पास भी भेजा गया है। 20 नवंबर की शाम 5 बजे तक सलाह और आपत्ति दी जा सकती है। रिजर्व बैंक ने कहा है कि इसके बाद अंतिम फैसला लिया जाएगा। 


लक्ष्मी विलास बैंक ने सितंबर 2020 में 397 करोड़ रुपए के शुद्ध हानि की घोषणा की थी, क्योंकि कंपनी के फंसे कर्ज में वृद्धि हो गई थी। 25 सितंबर को बैंक के शेयरहोल्डर्स ने बोर्ड में से 7 सदस्यों को निकालने का फैसला किया, इनमें एमडी और सीईओ एस सुंदर भी शामिल थे। रिजर्व बैंक ने तीन स्वतंत्र डायरेक्टर्स मीता माखन, शक्ति सिन्हा और सतीश कुमार कालरा की नियुक्ति की थी।


केंद्रीय बैंक ने कहा, ''लक्ष्मी विलास बैंक लिमिटेड (बैंक) की वित्तीय स्थिति पिछले तीन वर्षों में लगातार कमजोर होती रही और लगातार तीन सालों से घाटा हो रहा था, जिससे इसकी शुद्ध संपत्ति नष्ट हो गई है। किसी भी व्यवहार्य रणनीतिक योजना के अभाव में, अग्रिमों में गिरावट और एनपीए में वृद्धि, नुकसान जारी रहने की उम्मीद है।''