दिल्ली में चल रहे किसान ‘आंदोलन’ में अपना समर्थन देने के लिए आज भीम-मीम एक बार दोबारा एक साथ खड़े हैं। टाइम्स नाउ की खबर के मुताबिक एक ओर जहाँ भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर रावण गाजीपुर बॉर्डर पर पहुँच चुके हैं तो वहीं शाहीन बाग की दादी बिलकिस ने कहा है कि ये किसान उनके प्रदर्शन (शाहीन) में उनके साथ जुटे थे। अब समय है कि इनका साथ दिया जाए।
कॉन्ग्रेस नेता उदित राज का भी इस बीच बयान आया है। उदित राज ने कहा है कि वो किसानों की माँगों का समर्थन करते हैं। लेकिन किसानों के ख़िलाफ़ फैलाए जा रहे प्रोपगेंडा का विरोध करते हैं।
शाहीन बाग और किसान आंदोलन में एक जैसे चेहरे
यहाँ गौरतलब हो कि केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में लाए गए कृषि सुधार कानूनों को लेकर जारी किसानों के ‘विरोध प्रदर्शन’ में धीरे-धीरे वह सभी लोग एक साथ आ रहे हैं, जिन्होंने पिछले दिनों शाहीन बाग जैसे आंदोलन का समर्थन किया था।
अभी हाल में पता चला था कि जिन लोगों ने JNU में हिंसा को बढ़ावा दिया था, दिल्ली दंगों के दौरान मुस्लिमों को भड़काया था, वही हरियाणा-पंजाब सीमा पर चल रहे इस ‘किसान आंदोलन’ को भी उपद्रव में बदल रहे हैं।
हजारों लोगों के दिल्ली कूच करने के बाद हरियाणा की सिंधु सीमा पर पुलिस की तैनाती बढ़ा दी गई है। ‘रावण’ के पहुँचने की जानकारी मिलने के बाद कई लोग सोशल मीडिया पर प्रदर्शन स्थल पर हिंसा भड़कने की आशंका जता रहे हैं। उनकी चिंता है कि कहीं मासूम किसान अपराधियों और पुलिस के बीच मुठभेड़ में मारे न जाएँ।
शाहीन बाग के बाद किसान आंदोलन में बिरयानी
शाहीन बाग और किसानों के इस ‘आंदोलन’ में एक जैसे चेहरों के अलावा एक अन्य कॉमन चीज बिरयानी भी निकल कर आई है। पिछले दिनों राजधानी दिल्ली के गाजीपुर क्षेत्र से वीडियो सामने आई, जिसमें दिखाया गया कि आंदोलन कर रहे ‘किसानों’ के बीच बिरयानी बाँटी जा रही है। टाइम्स ऑफ़ इंडिया के इस वीडियो के साथ कैप्शन भी लिखा हुआ था, “गाजीपुर में किसानों के विरोध-प्रदर्शन की जगह पर बिरयानी का समय हो चुका है।” वीडियो में देखा जा सकता है कि सैकड़ों लोग बिरयानी के लिए पंक्ति बना कर खड़े हैं।
इस वीडियो को देखने के बाद कुछ ही समय में काफी प्रतिक्रियाएँ सामने आईं, क्योंकि इस नज़ारे ने यूजर्स की शाहीन बाग़ की यादें ताज़ा कर दी, जब पिछले साल दिसंबर महीने में तमाम इस्लामी सीएए और एनआरसी के तथाकथित ‘विरोध’ में धरने पर बैठे थे।
किसानों के प्रदर्शन पर क्यों उठ रहे सवाल
यहाँ बता दें कि इस आंदोलन को लेकर लगातार कई तरह के सवाल सोशल मीडिया पर उठाए जा रहे हैं। खासकर जब से इस प्रदर्शन को खालिस्तानियों और इस्लामी कट्टरपंथी समूह पीएफआई का समर्थन मिला है।
पिछले दिनों SFJ के संस्थापक गुरपतवंत सिंह पन्नू ने उन किसानों के लिए 10 मिलियन डॉलर की वित्तीय सहायता की घोषणा की थी, जिन्हें दिल्ली की यात्रा के दौरान किसी भी तरह का नुकसान हुआ हो। हाल ही में अपलोड किए गए एक वीडियो में पन्नू ने किसानों से उनको हुए नुकसान का डिटेल भेजने के लिए कहा था ताकि उनका संगठन राशि की क्षतिपूर्ति कर पाए।