किसान आंदोलन के पीछे छिपी मंशा को लेकर शुरुआत से ही सवाल उठते रहे हैं। अब खुफिया सूत्रों के हवाले से मीडिया रिपोर्ट्स में हैरान करने वाले दावे किए गए हैं। इसके मुताबिक किसान आंदोलन को अतिवादी वामपंथी संगठनों और कट्टरपंथियों ने अपने नियंत्रण में ले लिया है और वे बड़े पैमाने पर हिंसा की योजना बना रहे हैं।
टाइम्स नाऊ की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि किसान प्रदर्शनों पर अब वामपंथी अतिवादी अपना कब्जा जमा चुके हैं। इस खबर के आने के बाद कंगना रनौत ने भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। खुफिया सूत्रों का कहना है कि अतिवादी संगठन किसानों को भड़का कर हिंसा, आगजनी और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुँचाने की योजना बना रहे हैं।
इस जानकारी के सामने आने के बाद बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत ने भी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा है, “जो खूफिया सूत्र आज कह रहे हैं मैंने भी वही कहा था, लेकिन मेरे लिए लोगों ने ‘दिलजीत ने कंगना को @#ल दिया’ ट्रेंड कर दिया, जिसका मतलब होता है दिलजीत ने कंगना का रेप किया। ये ट्रेंड सभी लिबरलों ने एक अकेली महिला के लिए चलाया जिसका भावनात्मक और मानसिक रूप से बलात्कार किया गया और ऐसे चेयरलीडर्स भी थे जो तालियाँ बजा रहे थे… मैंने सबको देखा था।”
पिछले दिनों ट्विटर पर अपने बयानों के कारण कंगना को जिस तरह ट्रोल किया गया उसे याद दिलाते हुए उन्होंने कहा, “उन्होंने कहा था कि मुझे माफी माँगनी चाहिए। अब जिसने ये कहा उन सबको मुझसे माफी माँगनी चाहिए, सिर्फ इसलिए क्योंकि तुम्हारे पास दूरदर्शिता, स्पष्टता और सबसे जरूरी ईमानदारी नहीं है कि तुम हकीकत देख सको। तुम मुझे ऐसे नामों से नहीं बुला सकते। मेरे लिए अपमानजनक ट्रेंड नहीं चला सकते और न ही मुझ पर भाजपा का ठप्पा लगा सकते। माफी माँगो।”
यहाँ बता दें कि एक तरफ जहाँ मीडिया खबरों में खूफिया सूत्रों के हवाले से किसान आंदोलन पर वामपंथियों के कब्जे की बात सामने आ गई है। वहीं सोशल मीडिया के जरिए किसानों के प्रदर्शन को खालिस्तानियों के समर्थन की बात भी सामने आई है।
दरअसल, Khalsa Aid India नाम के फेसबुक पेज ने जानकारी दी है कि वह सिंघु बॉर्डर पर स्टॉल खोल चुके हैं और किसानों को सहायता उपलब्ध करवाएँगे। इसके लिए उनको 1000 कंबल और 500 गद्दे भी भी डोनेट किए गए हैं।
अब यह Khalsa Aid India क्या है? दरअसल, इस संगठन पर संदेह है कि यह बब्बर खालसा इंटरनेशनल का ही संगठन है, जिसके ख़िलाफ़ साल 2012 में एनआईए ने केस दर्ज किया था। आरोप था कि पंजाब का बीकेआई, यूके के बीकेआई संचालको (बलबीर सिंह बैंस और जोगा सिंह) और उनके संगठनों, जैसे- सिख वेलफेयर फॉर प्रिजनर वेलफेयर, अखंड कीर्ति जत्था ( AKJ) और खालसा एड, से पैसे ले रहा है ताकि भारत में आतंकी गतिविधियों को अंजाम दे सकें।
इन पर पाकिस्तान के बीकेआई नेताओं (वाधवा सिंग और जगतार सिंह तारा) का समर्थन पाने का भी आरोप था। इतना ही नहीं, जाँच में पता चला था कि संगठन ने पैसे लेने के बाद स्लीपर सेल्स और जेल में बंद आतंकियों व उनके परिवारों में बाँटा था।
साल 2015 की रिपोर्ट के मुताबिक, इस पूरे मामले में जाँच अधूरी रह गई थी, क्योंकि यूके ने संबंधित आरोपितों से जुड़े सबूत भारत के साथ साझा करने से मना कर दिए थे। बता दें कि बब्बर खालसा की मंशा भारत में हिंसा के जरिए एक स्वतंत्र सिख राज्य बनाने की है। यह संगठन कई आतंकी हमलों के लिए जिम्मेदार भी है। ट्रंप शासन में बीकेआई को अमेरिकी हितों के लिए खतरा घोषित किया था।