चुनाव के दौरान खुद के बचपन में सलीम होने की वोटरों को दुहाई देकर भी करारी शिकस्त को नहीं टाल पाए योगेंद्र यादव सहूलियत के हिसाब से चोला ओढ़ लेते हैं। कभी राजनीतिक विश्लेषक की, कभी राजनैतिक दल के नेता की तो कभी किसान नेता की।
फिलहाल विफल राजनेता और पेशेवर प्रदर्शनकारी योगेंद्र यादव पंजाब के किसानों के विरोध-प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे हैं। पंजाब के किसान नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं। रविवार (दिसंबर 6, 2020) को एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, योगेंद्र यादव ने कहा कि बंद के दौरान आवश्यक वस्तुओं के वितरण की भी अनुमति नहीं होगी। उन्होंने कहा कि दोपहर 3 बजे तक चक्का जाम रहेगा। किसान संगठनों ने 8 दिसंबर को भारत बंद का आह्वान कर रखा है।
December 8 #BharatBandh will start from morning. Chakka Jam will remain imposed till 3PM. Delivery of essential commodities will also remain shut. However, emergency services will be allowed: @_YogendraYadav #FarmersProtest #Farmers pic.twitter.com/cRPEzRDvQQ
— Mirror Now (@MirrorNow) December 6, 2020
हालाँकि योगेंद्र यादव ने कहा कि विवाह और इमरजेंसी सेवाओं की अनुमति होगी। दूध, फल, सब्जियों और अन्य सेवाओं की डिलीवरी बंद रहेगी। सिंघु बॉर्डर पर संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “8 तारीख को सुबह से शाम तक भारत बंद रहेगा। चक्का जाम शाम तीन बजे तक रहेगा। दूध-फल-सब्ज़ी पर रोक रहेगी। शादियों और इमरजेंसी सर्विसेज़ पर किसी तरह की रोक नहीं होगी।”
वैसे योगेंद्र यादव खुद किसान नहीं हैं। उन्हें हाल ही में किसानों और केंद्र सरकार के बीच इस मामले पर चर्चा में शामिल होने से रोका गया, क्योंकि वह एक राजनीतिक कार्यकर्ता हैं। यादव ने दावा किया कि गृह मंत्री अमित शाह ने खुद उनकी उपस्थिति पर आपत्ति जताई थी।
योगेंद्र यादव ने अपने बहिष्कार को लेकर कहा था, “हालाँकि किसान यूनियन ने फैसला किया कि बैठक का निमंत्रण तभी स्वीकार किया जाएगा जब चार प्रतिनिधि भी प्रतिनिधिमंडल में शामिल किए जाएँगे। मुझे सूचित किया गया कि अमित शाह ने व्यक्तिगत रूप से इसका हिस्सा होने पर आपत्ति जताई थी। सरकार ने कहा कि मैं राजनीतिक व्यक्ति हूँ। किसान संघ बैठक का बहिष्कार करने के लिए तैयार थे, लेकिन वे मेरी जिद पर आगे बढ़ गए।”
योगेंद्र यादव जैसों के ‘इच्छाधारी’ चोले और विरोध-प्रदर्शनों में कथित तौर पर की गई सांप्रदायिक टिप्पणी को लेकर लोग विरोध-प्रदर्शनों के पीछे की मंशा पर सवाल उठाने लगे हैं।
गौरतलब है कि पिछले दिनों किसान संगठन और केंद्र सरकार के बातचीत में शामिल प्रतिनिधिमंडल में स्वराज पार्टी (Swaraj Party) के नेता योगेंद्र यादव (Yogendra yadav) का भी नाम था। मगर बाद में केंद्र सरकार के कहने के पर उनका नाम हटा दिया गया। सरकार ने कहा था कि वह ऐसा इसलिए कर रही है क्योंकि वह नहीं चाहती कि कोई राजनीतिक व्यक्ति इसमें शामिल हो।