घटना के चश्मदीद सचिन ने बताया कि जागृति जिनके यहां रहती है वो ही अस्पताल लेकर पहुंचे थे, वो बार बार अस्पताल से जागृति का इलाज करने की गुहार लगा रहे थे लेकिन कुछ नहीं हुआ, आखिर में जागृति ने दम तोड़ दिया. नोएडा में इस वक्त हालात बेहद खराब हैं, सरकारी अस्पतालों के बाहर कोरोना मरीज़ों के परिवार वाले मायूस होकर वापस लौट रहे हैं. सबको बता दिया गया है कि बेड नहीं हैं. नोएडा प्रशासन ने ऑनलाइन कोविड ट्रैकर बना रखा है, जहां ऑक्सीजन और ICU बेड मिलाकर कुल 2568 बेड हैं. लेकिन एक भी खाली नहीं है.
One india times ने हेल्पलाइन पर फोन करके जानकारी लेनी चाही तो पता चला कि पूरे नोएडा ग्रेटर नोएडा मे कहीं भी बेड नहीं है.
सरकार कुछ भी कहती रहे लेकिन असलियत में पूरे उत्तर प्रदेश में हालात बहुत ख़राब हैं. हर रोज सैकड़ों लोग नोएडा में कोरोना पॉज़िटिव हो रहे हैं लेकिन सरकार के पास इन्हें भर्ती करने के लिए बेड नहीं है. लोग यही सवाल पूंछ रहे हैं जाएं तो जाएं कहां?