जम्मू-कश्मीर (jammu kashmir) के शोपियां में हुई मुठभेड़ (shopian encounter) में पुलिस ने बुधवार को लश्कर-ए-तैयबा के 3 आतंकवादियों को ढेर कर दिया. यहां सुबह से ही मुठभेड़ शुरू हो गई थी. पुलिस अधिकारियों ने बताया कि मारे गए आतंकी स्थानीय इलाके के रहने वाले हो सकते हैं. उनकी शिनाख्त कराई जा रही है. उनके पास से हथियार और गोलाबारूद बरामद हुआ है. पुलिस ने कहा कि इस साल विभिन्न अभियानों में लश्कर, जैश और हिजबुल मुजाहिदीन के शीर्ष कमांडरों सहित 160 से अधिक आतंकवादी मारे गए हैं.
पुलिस अधिकारी ने बताया कि सूचना मिलने पर सेना के साथ मिलकर शोपियां के चोलन गांव के चाक पर तलाशी अभियान चलाया जा रहा था, तभी आतंकवादियों ने उन पर गोलियां बरसाईं, इस पर जवानों ने जवाबी कार्रवाई की. पुलिस और सेना ने गांव की घेराबंदी की. सुबह के समय हो रही इस मुठभेड़ को देखते हुए स्थानीय लोगों से घरों के दरवाजे और खिड़कियां बंद रखने की अपील की गई. आतंकियों से कई बार समर्पण के लिए कहा, लेकिन वे गोलियां चलाते ही रहे. पुलिस अधिकारी ने बताया कि बुधवार शाम होते होते मुठभेड़ समाप्त हो गई है, लेकिन तलाशी अभियान जारी रखा गया है. उन्होंने कहा है कि मारे गए आतंकियों की पहचान कराई जा रही है.
सुरक्षा बलों ने रखा पूरा खयाल
वहीं ऑपरेशन के दौरान सुरक्षा बलों ने पूरा खयाल रखा जिससे आम लोगों को नुकसान न हो. शायद ये ही वजह है कि एनकाउंटर में आम नागरिकों बहुत कम नुकसान होता है. आगर आंकड़ों पर नजर डालें तो साल 2018 में सेना के ऑपरेशन के दौरान क्रॉस फायरिंग में 24 स्थानीय नागरिकों की मौत हुई और 49 घायल हुए थे जबकि इस साल 2021 में एनकाउंटर के दौरान क्रॉसफायर में महज 2 आम लोगों की जान गयी और 2 को मामूली चोट आई.
बीते तीन सालों में सबसे कम आतंकवादियों के हमले
बता दें कि 15 नवंबर तक जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों के हमले की 196 घटनाएं सामने आ चुकी हैं, जो बीते तीन सालों में सबसे कम हैं. वहीं इस साल शहीद जवानों की संख्या में भी कमी आई है. जम्मू कश्मीर में पिछले तीन साल के दौरान आतंकवादियों के हमलों की 1,033 घटनाएं हुईं और उनमें से सबसे अधिक 594 घटनाएं 2019 में दर्ज की गई थीं. केंद्र शासित प्रदेश में पिछले साल 244 आतंकवादी हमले हुए थे.