डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम पर चल रहे साध्वी यौन शोषण मामले में 25 अगस्त को पंचकूला स्थित सीबीआई कोर्ट का फैसला आना है। सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद हजारों डेरा प्रेमी पंचकूला में इकट्ठे हो चुके हैं। इसे देखते हुए हरियाणा सरकार और पुलिस पूरी चौकस बरत रही है। इस तरह विवादों में रहे हैं संत गुरमीत राम रहीम...
डेरे के 400 साधुओं को नपुंसक बनाने का आरोप
फतेहाबाद
के कस्बा टोहाना के रहने वाले हंसराज चौहान, जो डेरा सच्चा सौदा में बतौर
साधु रहा, लेकिन उसने 17 जुलाई 2012 को हाईकोर्ट में याचिका दायर कर डेरा
प्रमुख पर डेरे के 400 साधुओं को नपुंसक बनाए जाने का आरोप लगाया। चौहान ने
आरोप लगाया कि डेरा प्रमुख के इशारे पर डेरा अस्पताल के डॉक्टरों की टीम
साधुओं को नपुंसक बनाती है और भगवान के दर्शन होने की बात कही जाती है।
चौहान ने कोर्ट में 166 साधुओं का नाम समेत विवरण भी प्रस्तुत किया था।
याचिका में यह भी बताया था कि पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्याकांड में
आरोपी निर्मल और कुलदीप भी डेरा सच्चा सौदा के नपुंसक साधु हैं। जेल में
बंद डेरा के साधुओं ने पूछताछ में स्वीकार किया कि वे नपुंसक है,ं लेकिन वे
अपनी मर्जी से बने हैं। यह मामला भी अदालत में विचाराधीन है।
1948 में शुरू हुआ था डेरा सच्चा सौदा, जितना चर्चित हुआ उतना ही विवादित भी हुआ
डेरा
सच्चा सौदा की स्थापना 1948 में शाह मस्ताना महाराज ने की थी। शाह मस्ताना
महाराज के बाद डेरा के गद्दीनशीन शाह सतनाम महाराज बने और उन्होंने 1990
में अपने अनुयायी संत गुरमीत सिंह को गद्दी सौंपी। संत गुरमीत का नाम संत
गुरमीत राम रहीम सिंह इंसां कर दिया गया। संत गुरमीत मूल रूप से राजस्थान
के श्रीगंगानगर जिले के गांव गुरुसरमोडिया के रहने वाले हैं। बीती 15 अगस्त
को वे 50 साल की उम्र के हो चुके हैं और जन्मदिन की खुशी में डेरे में
लगातार जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में समारोह और सत्संग चल रहे हैं। इसी बीच
सीबीआई की विशेष अदालत 25 अगस्त को साध्वी यौन शोषण मामले में फैसला सुनाने
जा रही है।
साध्वी यौन शोषण केस
करीब
पंद्रह साल पहले डेरा के आश्रम की एक साध्वी ने प्रधानमंत्री कार्यालय को
चिट्ठी लिख कर डेरा बाबा की शिकायत की थी। साध्वी ने अपने हलफनामे में खुद
और आश्रम की दूसरी साध्वियों के साथ यौन शोषण का आरोप लगाया था और फिर इस
मामले में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की गई थी। अदालत के आदेश
पर वर्ष 2001 में पूरे मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई। सीबीआई ने सारी
रिपोर्ट सीबीआई की विशेष अदालत पंचकूला को सौंप दी थी। उसके बाद अदालत में
दोनों पक्षों की ओर से गवाहियां हुई बहस हुई और आखिरकार अदालत ने फैसला कर
उसे सुरक्षित रख लिया और उस फैसले को 25 अगस्त को सुनाएगी।
पत्रकार रामचंद्र हत्याकांड
सिरसा
से स्थानीय समाचार-पत्र ‘पूरा सच’ का संपादन करने वाले पत्रकार रामचंद्र
छत्रपति ने अपने समाचार-पत्र में डेरा सच्चा सौदा से जुड़ी खबरें प्रकाशित
करना शुरू किया। उन्हीं में साध्वी यौन शोषण और रणजीत सिंह हत्याकांड का
खुलासा किया था। तब डेरा के दाे शूटरों ने छत्रपति को निशाने पर लेना शुरू
कर दिया और 24 अक्टूबर 2002 को 5 गोलियां छत्रपति को मारी। एक हत्या आरोपी
मौके पर ही पकड़ा गया। दूसरे आरोपी को बाद में गिरफ्तार किया गया। 21 नवंबर
2002 को दम तोड़ दिया। दिवंगत छत्रपति के बेटे अंशुल छत्रपति ने इस मामले
में न्याय हासिल करने के लिए संघर्ष किया और मामला सीबीआई को सौंपा गया।
मामला फिलहाल विचाराधीन है। इस मामले में डेरामुखी को आरोपी बनाया हुआ है।
रणजीत सिंह हत्याकांड
यह
मामला भी साध्वियों के यौन शोषण से ही जुड़ा हुआ है। रणजीत सिंह डेरा की
प्रबंधन समिति का सदस्य था, जिसकी वजह से डेरामुखी के करीब होने से सारी
गतिविधियों से वाकिफ था, लेकिन 10 जुलाई 2003 को उसकी हत्या कर दी गई। तब
से लेकर अब तक यह मामला भी अदालत में विचाराधीन है।
फकीर चंद गुमशुदगी मामला
2010
में डेरा के ही पूर्व साधु राम कुमार बिश्नोई ने हाईकोर्ट में याचिका दायर
कर डेरा के पूर्व मैनेजर फकीर चंद की गुमशुदगी की सीबीआई जांच की मांग की
थी। आरोप था कि डेरा प्रमुख के आदेश पर फकीर चंद की हत्या कर दी गई है।
सीबीआई जांच सुबूत नहीं जुटा पाई और क्लोजर रिपोर्ट फाइल कर दी। बिश्नोई ने
हाईकोर्ट में उस क्लोजर रिपोर्ट को भी चुनौती दे रखी है।
गुरु गोबिंद सिंह के लिबास पर सिखों से विवाद
मई
2007 में डेरा सलावतपुरा (बठिंडा, पंजाब) में डेरा प्रमुख गुरमीत सिंह ने
गुरु गोबिंद सिंह जैसी वेशभूषा धारण कर फोटो खिंचवाए। 13 मई 2007 को सिखों
ने इसके विरोध स्वरूप बठिंडा में डेरा प्रमुख का पुतला फूंका। प्रदर्शनकारी
सिखों पर डेरा प्रेमियों में विवाद भी हुआ था। 18 जून 2007 को बठिंडा की
अदालत ने राजेंद्र सिंह सिद्धू की याचिका पर डेरा प्रमुख के खिलाफ
गैरजमानती वारंट भी जारी कर दिए थे। जिससे प्रेमियों ने पंजाब की बादल
सरकार के खिलाफ जगह-जगह हिंसक प्रदर्शन किया। डेरा बाबा ने जो पोषाक पहनी
थी वह उनके अनुयायी ने श्रद्धानुसार भेंट की थी। अंत में इस मामले में डेरा
बाबा बरी हो गए।