पंचकूला हिंसा में मारे गये राम रहीम समर्थकों के नाम पर हरियाणा विधानसभा में सियासत

पंचकूला हिंसा में मारे गये राम रहीम समर्थकों के नाम पर हरियाणा विधानसभा में सियासत

क्या आपने कभी सुना है कि दंगों में मारे गए उपद्रवियों को किसी राज्य की विधानसभा के शोक संदेश में श्रद्धांजलि दी गई हो. राज्य की विधानसभा के शोक संदेश में ज्यादातर किसी दुर्घटना या हादसे में मारे गए आम प्रदेशवासियों और पिछले दिनों में मारे गये और निधन हुए राज्य के अन्य राजनीतिक, सामाजिक और सरकारी अधिकारियों को श्रद्धांजलि देने के लिए शोक संदेश पढ़ा जाता है. लेकिन हरियाणा की विधानसभा में कुछ ऐसा ही होने जा रहा है. यहां आधिकारिक शोक संदेश में जाट हिंसा के दौरान मारे गए उपद्रवियों के साथ-साथ पंचकूला में 25 अगस्त को गुरमीत राम रहीम को दोषी करार दिए जाने के बाद हुए दंगों और हिंसा में मारे गए 42 लोगों को श्रद्धांजलि दी जा रही है.

डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम भले ही जेल में हों और डेरे के भविष्य को लेकर भी सस्पेंस बना हुआ हो, लेकिन इसके बावजूद हरियाणा की तमाम राजनीतिक पार्टियों को अभी भी डेरा सच्चा सौदा में एक बड़ा वोट बैंक नजर आ रहा है. इसी वजह से हरियाणा विधानसभा के सत्र के पहले ही दिन विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने सदन में पढ़े जाने वाले शोक संदेश में 25 अगस्त को पंचकूला में हुई हिंसा में मारे गए 42 लोगों के नाम भी शामिल करने के लिए सरकार को कहा. तो वहीं एक कदम और आगे जाते हुए मुख्य विपक्षी पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल ने 25 अगस्त को पंचकूला में हुई हिंसा और दंगों की घटना को जलियांवाला बाग में हुई भारतीयों की शहादत के साथ जोड़ दिया. हालांकि बाद में कांग्रेस और इंडियन नेशनल लोकदल ने अपने-अपने सदन में दिये गये बयानों पर सफाई भी दी.

हरियाणा विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल की नेता किरण चौधरी की ओर से हरियाणा विधानसभा में शोक संदेश पढ़े जाने के दौरान पंचकूला हिंसा में मारे गए 42 डेरा प्रेमियों के नाम भी शोक संदेश में शामिल करने और श्रद्धांजलि देने की मांग सदन में उठाई गई थी लेकिन बाद में उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि बहकावे में आकर कई निर्दोष लोग पंचकूला पहुंच गए थे और वही निर्दोष लोग ही पुलिस की गोली का शिकार हुए. उन लोगों की जान गई इसी वजह से उन्होंने ये मांग की थी.

किरण चौधरी ने कहा कि वो किसी भी तरह से पंचकूला में हिंसा करने वाले और मीडिया पर और सरकारी दफ्तरों पर हमला करने वालों के साथ खड़ी नहीं है और ना ही वो पंचकूला में 25 अगस्त को हुई हिंसा और दंगों में मारे गए लोगों को किसी भी तरह शहीद का दर्जा दिलवाने की कोशिश कर रही है. वो बस चाहती है कि पंचकूला में मारे गए निर्दोष लोगों के नाम पर सदन में शोक संदेश पढ़ा जाए. किरण चौधरी ने इस मामले में किसी भी तरह की वोट बैंक की राजनीति की बात से भी इनकार कर दिया.

सदन में 25 अगस्त को पंचकूला हिंसा में मारे गए 42 लोगों की याद मुख्य विपक्षी पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल को भी आई. इंडियन नेशनल लोकदल के विधायक परमिंदर ढुल ने सदन में पंचकूला में हुई 25 अगस्त की घटना को जलियांवाला बाग की घटना की तरह बता डाला. हालांकि बाद में परमिंदर ढुल ने भी अपने बयान को लेकर सफाई दी और कहा कि उन्होंने सिर्फ इतना कहा है कि जैसे जलियांवाला बाग में भोले-भाले लोगों को इकट्ठा करके उन पर फायरिंग की गई थी वैसे ही पंचकूला में भी डेरा सच्चा सौदा से जुड़े भोले-भाले मासूम लोगों को गुरु के दर्शन के नाम पर शहर में इकट्ठा करने की इजाजत पहले सरकार ने ही दी और सरकार के मंत्रियों ने इस तरह के बयान भी दिए जिससे इन बेकसूर लोगों को लगा कि उनके ऊपर पुलिस कोई कार्यवाही नहीं करेगी और बाद उपद्रव के दौरान सिर्फ 1 घंटे की कार्रवाई के अंदर ही 42 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया. इसी वजह से उन्होंने इस घटना की तुलना जलियांवाला बाग की घटना से की है. परमिंदर ढुल ने ये भी कहा कि पंचकूला में दंगे करने वाले लोग तो आसानी से निकल कर फरार हो गए लेकिन जो बेकसूर लोग जमा थे वो सरकार की विफलता की वजह से पुलिस की गोली का शिकार हो गए.

वहीं इस मामले पर हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि पंचकूला हिंसा की तुलना जलियांवाला बाग की घटना से करना किसी का अपना व्यक्तिगत विश्लेषण हो सकता है. लेकिन सरकार ने उस वक्त लॉ एंड आर्डर को संभालने के लिए जो उचित लगा वो किया और सरकार इस घटना को एक उपद्रव की घटना ही मानती है. वहीं हरियाणा के फायर ब्रांड कैबिनेट मिनिस्टर अनिल विज ने भी कहा कि पंचकूला हिंसा में मारे गए डेरा सच्चा सौदा के अनुयायियों के नाम हरियाणा विधानसभा के सदन में पढ़े जाने वाले शोक संदेश में डालने की इच्छा पूरे सदन की थी. लेकिन वो पंचकूला हिंसा को जलियांवाला बाग में हुई शहादत की घटना से जोड़े जाने के सख्त खिलाफ हैं और वो ऐसा नहीं मानते कि पंचकूला में मारे जाने वाले तमाम लोग ही बेकसूर लोग थे.

डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम फिलहाल जेल में बंद है. लेकिन इसके बावजूद डेरा सच्चा सौदा के लाखों अनुयायियों का एक गुट अभी भी अपने गुरु गुरमीत राम रहीम को बेकसूर मानता है और हर हाल में अपने गुरु के साथ ही खड़ा है. शायद यही वजह है कि राजनीतिक पार्टियों को भी डेरा सच्चा सौदा में अभी भी एक बड़ा वोट बैंक नजर आ रहा है और इसी वजह से इस तरह के बयान हरियाणा विधानसभा के अंदर तमाम राजनीतिक पार्टियों की तरफ से दिए जा रहे हैं.