कैंसर को दुनिया का सबसे खतरनाक और जानलेबा बीमारी में से एक माना जाता
है। हालाँकि अगर शुरुआती दिनों में इसका पता चल जाए तो साइंस ने इतनी
तरक्की कर ली है की इसका इलाज़ संभब हो जाता है लेकिन अगर ना पता चले तो
इससे बचना नामुमकिन सा हो जाता है। पर आज हम ऐसे इंसान की कहानी बताने जा
रहे हैं जिसने बिना इलाज के इस जानलेबा बीमारी को मात दी।
अमेरिका के स्टैमेटिस मोराइटिस नामक एक ब्यक्ति को 60 साल की उम्र में
लंग्स कैंसर हुआ था। डॉक्टर्स ने भी जवाब दे दिया था की अगर ये अपना सही
तरह से इलाज नहीं करवाते हैं 6 महीने के अंदर इनकी मौत हो जायेगी।
स्टैमेटिस मोराइटिस ने अपने इस बीमारी से बचने के लिए कुछ अलग तरीका सोचा
और अपने दैनिक जीवन में कुछ ऐसे बदलाव किये जिसके कारण वो 102 साल तक जीने
में कामयाब रहे।
सबसे पहले तो उन्होंने अपने शहरी लाइफस्टाइल को छोड़ दिया और जा कर
पहाड़ों में रहने लगे जहा का वातावरण बिलकुल शुद्ध और हवा पानी बिलकुल
पवित्र था।स्टैमेटिस मोराइटिस दिन भर खेती करने लगे। वो अपने दिन का सारा
टाइम धुप और शुद्ध हवा में खेती करते हुए बिताते थे। इसके कारण उनके शरीर
में बहुत से बदलाव दिखना शुरू हो गया था। खेती करना सबसे कठिन फिजिकल वर्क
होता है। इतना फिजिकल वर्क करने से बॉडी में एंडोर्फिन्स केमिकल रिलीज़ होता
है जो बॉडी को बहुत से बिमारियों से लड़ने में मदद करता है। इससे इम्यून
सिस्टम भी काफी मजबूत होता है जिससे कारण बड़ी से बड़ी बिमारियों से लड़ने में
सक्षम होता है।
स्टैमेटिस मोराइटिस दिन भर ताज़ी सब्जी और फल का सेवन करते थे। उन्होंने कैंसर के बारे में कभी सोचा ही नहीं। बिना किसी तनाव या पड़ेशानी के वो बस अपना काम करते थे और हमेशा खुश रहते और मुस्कुराते रहते थे।
आप भी अपने जीवन में कुछ बदलाव करके बड़ी से बड़ी बिमारियों को अपने शरीर
में प्रवेश करने से पहले ही रोक सकते हैं। उसमे से कुछ बदलाव हम आपको बताने
जा रहे है।
अगर आप मांसाहारी है और मीट खाना आपको बहुत पसंद है तो मीट पकाते समय इस बात का जरूर रखे धयान। मीट को हमेशा धीमी आंच पर पकाये। तेज़ आंच पर पकाने से मीट में मौजूद अमीनो एसिड टोक्सिन में बदल जाता है जो शरीर में जा कर कैंसर पैदा करने वाले तत्व को जिन्दा करता है। इसलिए मीट को हमेशा लौ फ्लेम पर पकाये और पकाने से पहले उसमे सिरके का उपयोग करे।
अगर आप मांसाहारी है और मीट खाना आपको बहुत पसंद है तो मीट पकाते समय इस बात का जरूर रखे धयान। मीट को हमेशा धीमी आंच पर पकाये। तेज़ आंच पर पकाने से मीट में मौजूद अमीनो एसिड टोक्सिन में बदल जाता है जो शरीर में जा कर कैंसर पैदा करने वाले तत्व को जिन्दा करता है। इसलिए मीट को हमेशा लौ फ्लेम पर पकाये और पकाने से पहले उसमे सिरके का उपयोग करे।
हम अपने पहनावे को बदलने से कैंसर से बच सकते हैं। वैज्ञानिकों का कहना
है की हमारे ऑउटफिट भी हमें बीमारियों से बचाता है। एक रिसर्च में ये शाबित
हुआ है की नील और लाल रंग के कपडे पहनने से हम सूरज के uv किरणों से बच
सकते हैं। इसके अलावे अगर हम सफ़ेद और पिली वस्त्र पहेंनते हैं तो ये कम
मात्रा में हमारा बचाओ करता है। uv किरणों से बचने से हमारे शरीर में होने
वाले स्किन कैंसर के खतरों से बचा जा सकता है।
स्मोकिंग से दूर रहे। अगर आप एक नॉन स्मोकर है तो हमेसा स्मोकर्स से
बचने का प्रयास करे। और अगर आप स्मोकर है तो आज ही स्मोकिंग छोड़ दे।
धूम्रपान छोड़ने से फेफड़े, गले, मुंह, ब्लॉडर और ग्रीवा के कैंसर का खतरा कम
होता है। निकोटीन में 4,000 से अधिक कैमिकल्स और 43 अलग-अलग कैंसरजनक
पदार्थ होते हैं।
रोज़ कॉफ़ी पिने की आदत डाल ले। कॉफ़ी पिने से बहुत से कैंसर से हमें निजात
मिल सकता है। अगर हम दिन में 4 कप कॉफ़ी पीते हैं तो हमारे ओरल कैंसर होने
की संभावना 39 परसेंट तक कम हो जाती है। इसके अलावे महिलाओ में ओवेरी कैंसर
की संभावना भी काम हो जाती है अगर वो रोज़ 2 कप कॉफ़ी पिए। कम से कम 5 कप
कॉफी कुछ प्रकार के ब्रेन कैंसर की संभावनाओं को 40 प्रतिशत तक कम करती है।
एक दिन में कम से कम 3 कप कॉफी स्तन कैंसर की आशंका घटाती है। कॉफी पीने
वालों में लीवर कैंसर की संभावना 41 प्रतिशत तक कम होती है।
कैंसर के बारे में खुद भी जागरूक बने और दुसरो को भी जागरूक करें।