भारत में कई धर्मो के लोग निवास करते हैं जो अलग अलग भगवानो की पूजा
अर्चना करते हैं. इनमे से कई लोग भगवान और परंपरा से काफी जुड़े रहते हैं.
इनका भगवान को प्रसन्न करने का तरीका भी अलग अलग होता हैं. इनमे से भगवान
को भोजन सामग्री चढ़ाने का रिवाज काफी पॉपुलर और प्राचीन हैं. फिर वो हर
सोमवार शिवजी को दूध चढ़ाना हो या मंगलवार / शनिवार हनुमान जी को तेल चढ़ाना
हो. ऐसे में कुछ लोगो का कहना हैं कि भगवान को चढ़ाने में वेस्ट हुई खाद्य
सामग्री किसी भूखे गरीब का पेट भी भर सकती हैं. लेकिन इस विवादस्पद टॉपिक
पर हम किसी और दिन चर्चा करेंगे.
अब जरा सोचिए क्या होगा यदि हम कोई बीच का ऐसा रास्ता निकल पाए जिससे
भक्तजानो की भावनाएं भी आघात ना हो और भगवान को अर्पित करने वाली खाद्य
सामग्री भी वेस्ट ना हो. ऐसा ही एक कारनामा मेरठ के 5 दोस्तों ने कर दिखाया
हैं.
मेरठ निवासी करण गोयल और उसके दोस्तों ने मिलकर एक ऐसा डिवाइस या तकनीक
तैयार की हैं जिससे भगवान को अर्पित किया जाने वाला दूध वेस्ट होने से बच
सकता हैं. आपको जान हैरानी होगी कि इन पांच दोस्तों ने अपनी इस तकनीक की
मदद से महाशिवरात्रि पर करीब 100 लीटर दूध वेस्ट होने से बचा लिया हैं.
करण का कहना हैं कि वो हमेशा से शिव मंदिर जाने में हिचकता था क्योंकि
उससे वहां होने वाली दूध की बर्बादी देखी नहीं जाती थी. इसी बात की चर्चा
उसने अपने चार दोस्तों से की जिसके बाद इन सभी ने मिलकर एक बहुत ही दिलचस्प
डिवाइस तैयार किया. इसके बाद उन्होंने अपने डिवाइस को टेस्ट करने के लिए
मेरठ के एक मंदिर को चुना. चलिए अब आपको बताते हैं कि ये डिवाइस काम कैसे
करता हैं.
यह डिवाइस एक खास प्रकार से बनाया गया कलश हैं. यह कलश स्टील की धातु का
बनाया गया हैं ताकि इसमें स्टोर होने वाला दूध फटे या खराब ना हो. इस कलश
को स्टील के ही बने एक ट्राईपोड पर शिवलिंग के ऊपर लगाया जाता हैं. इस कलश
में दो छेद हैं. पहले छेद से चढ़ाया गया दूध शिवलिंग पर गिरता हैं जबकि
दुसरे छेद से बचा हुआ दूध एक अलग बर्तन में एकत्रित होता हैं. इस कलश के
अन्दर 7 लीटर दूध समाने की केपेसिटी हैं. ऐसे में जब ये कलश पूरा भर जाता
हैं तो इसमें से एक लीटर दूध शिवलिंग पर गिरता हैं जबकि बाकी का 6 लीटर दूध
दुसरे छेद से होता हुआ एक अलग बर्तन में एकत्रित हो जाता हैं.
चुकी शिवजी को कई लोग दूध में फूल और अन्य सामग्री भी मिला कर चढ़ाते
हैं. इसलिए इन लोगो ने पेम्पलेट छपवा कर भक्तजनों से विनती करी कि प्युर
कच्चे दूध को कलश में डाले और फुल सामग्री मिलावट वाले दूध को सीधा शिवलिंग
पर ही डाले. इस तरह ये लोग दोपहर तक शुद्ध 100 लीटर दूध बचाने में कामयाब
रहे.
मेरठ के IIMT कॉलेज में पढ़ने वाले निशांत सिंघल का कहना हैं कि ‘इस
डिवाइस को बनाने में सिर्फ 2500 रुपए का खर्चा आया हैं. हम लोग इस डिवाइस
को बनाने का टुटोरियल भी अपने फेसबुक पेज ‘India Against Hunger’ पर पोस्ट
करेंगे. इस तरह इस डिवाइस को दुसरे लोग भी आसानी से बना पाएंगे.
इस बचाए गए दूध को सत्यकाम मानव सेवा समिति को भेज दिया गया जिन्होंने इसे अनाथ और HIV पॉजिटिव बच्चों को पिला दिया. इन लोगो ने इस डिवाइस को मंदिर में ही रहने दिया और मंदिर वालो से ये वादा लिया कि वे लोग हर मंगलवार बचे हुए दूध को इन गरीब अनाथ बच्चों को भिजवा देंगे.
इस बचाए गए दूध को सत्यकाम मानव सेवा समिति को भेज दिया गया जिन्होंने इसे अनाथ और HIV पॉजिटिव बच्चों को पिला दिया. इन लोगो ने इस डिवाइस को मंदिर में ही रहने दिया और मंदिर वालो से ये वादा लिया कि वे लोग हर मंगलवार बचे हुए दूध को इन गरीब अनाथ बच्चों को भिजवा देंगे.
बताते चले कि यहाँ कोई भी धर्म या रीती रिवाजो के खिलाफ नहीं हैं. बल्कि
भगवान भी जब आपको अपनी मूर्ति की बजाए इन गरीबो का पेट भरता देखेंगे तो वो
खुश होंगे और हम पर अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखेंगे.
जहाँ एक तरफ लोग इस विवादस्पद टॉपिक पर बहस करने लगे रहते हैं तो वहीँ
मेरठ के करण गोयल और उसके दोस्तों ने बीच का रास्ता निकाल सभी का दिल जीत
लिया.