इसमें कोई शक नहीं कि इस दुनिया की कोई भी महिला अपनी मर्जी से
जिस्मफरोशी के धंधे में जाना चाहेगी. जी हां अगर कोई महिला या लड़की इस धंधे
में जाती है तो वो अपनी मर्जी से नहीं बल्कि मज़बूरी से ही जाती है. वही
अगर हम दिल्ली के जीबी रोड की बात करे तो ये शब्द सुनते ही हमारे दिमाग में
एक अलग सी जगह की छवि बन जाती है. जी हां एक ऐसी जगह जहाँ महिलाएं और
लड़कियां केवल कुछ पैसो के लिए अपना शरीर बेचती है. अब जाहिर सी बात है कि
जब एक लड़की को पैसो के लिए अपना शरीर तक बेचना पड़े तो उसके लिए इससे बड़ी
घटिया बात क्या हो सकती है.
बरहलाल ये दिल्ली की वो जगह है जहाँ कुछ पैसे देकर लोग लड़कियों के साथ
वो सब कुछ करते है, जो वो करना चाहते है. यानि अगर हम सीधे शब्दों में कहे
तो ऐसी जगह पर प्यार और लगाव का कोई महत्व नहीं होता और इन शब्दों के कोई
मायने नहीं होते. मगर वो कहते है न कि प्यार और इश्क जगह देख कर अपनी जड़े
मजबूत नहीं करता, बल्कि ये तो वो चीज है जिसे चाह कर भी कोई रोक नहीं सकता.
हालांकि ये बात भी सच है कि जीबी रोड पर जो प्यार पनपता है, वो ज्यादा समय
तक टिक नहीं पाता. इसके इलावा ऐसी जगह पर महिलाओ को भी इस बात की उम्मीद
नहीं होती कि उन्हें उनका सच्चा जीवन साथी मिल जाएगा.
अब जाहिर सी बात है कि जैसी जिंदगी ये महिलाएं जीती है, उसे देख कर कोई
भी इनका हाथ थामने के लिए आगे नहीं आता. यही वजह है कि जो महिलाएं इस जगह
पर रहती है, वो अपनी भावनाएं किसी के साथ ज्यादा शेयर नहीं करती. बरहलाल ये
तो सब जानते है कि हाल ही में वैलेंटाइन डे था. ऐसे में कई लोगो ने इस दिन
को बड़ी धूम धाम के साथ मनाया. मगर वही इस बारे में जीबी रोड की एक महिला
ने भी कुछ कहा है. जी हां इस बारे में जीबी रोड की महिला वर्कर का कहना है
कि वैलेंटाइन डे के दिन उनके पास कई ग्राहक आये थे. इसके साथ ही उसने बताया
कि उन ग्राहकों के हाथ में फूल थे और कई बार तो उन्हें चॉकलेट्स भी मिल
जाती है. यानि उस महिला वर्कर का कहना है कि इस दिन उनकी ज्यादा खातिरदारी
होती है.
हालांकि उन महिलाओ को ये पता होता है कि ये सब केवल एक दिन का दिखावा
है, लेकिन उन्हें फिर भी इस बात की तसल्ली होती है कि केवल दिखावे के लिए
ही सही, लेकिन कोई उनके लिए इतना तो कर रहा है. ऐसे में महिला वर्कर का
कहना है कि जब कोई ग्राहक उनके लिए ये सब करता है तो उन्हें बेहद अच्छा
लगता है. जी हां वो भी एक नार्मल लड़की की तरह महसूस करने लगती है. उन्हें
भी ऐसा लगता है कि कोई उनसे प्यार करता है. वैसे कोठो की महिलाओ का ये
मानना है कि ये वैलेंटाइन डे और ये गिफ्ट सब बेवकूफी है. दरअसल वो ऐसा
इसलिए सोचती है क्यूकि वहां ज्यादातर महिलाएं प्यार में धोखा खा चुकी है.
जी हां इन महिलाओ को शादी का झांसा देकर और इनके घर परिवार से दूर करके
ही उन्हें यहाँ बेचा गया था. अब जाहिर सी बात है कि इतना सब होने के बाद
किसी पर दोबारा विश्वास करना इनके लिए आसान नहीं होता. यही वजह है कि यहाँ
ज्यादातर महिलाएं अपने दिल को संभाल कर ही रखती है, क्यूकि उन्हें इस बात
का डर होता है कि कही वो फिर से धोखा न खा बैठे. हालांकि प्यार के नाम पर
वो कुछ ग्राहकों का ज्यादा ध्यान रखती है. वैसे एक प्रेम कहानी ऐसी भी है
जो इसी कोठे से निकली है.
जी हां कोठा नंबर 68 की एक महिला वर्कर अपने प्यार की वजह से ही कोठे के
दलदल से बाहर निकल पाई थी. इस बारे में लड़की ने बताया था कि उससे पिछले
डेढ़ साल से जबरदस्ती वेश्यावृति का काम करवाया जा रहा था. बरहलाल इस लड़की
की उम्र अठारह साल है और इसे एक कस्टमर से काफी हमदर्दी हो गई थी. मगर
देखते ही देखते ये हमदर्दी प्यार में बदल गई. हालांकि कोठे वाले उस लड़की को
जाने नहीं दे रहे थे. जिसके चलते एनजीओ वालो ने उस लड़की को बाहर निकालने
में उसकी मदद की थी.