कहते है इस दुनिया में माँ ही केवल एक ऐसी इंसान होती है जो अपने बच्चो को
हर हालत में बेहद प्यार करती है. जी हां फिर भले ही उसके बच्चे कैसे भी
क्यों न हो, लेकिन एक माँ अपने बच्चो को लेकर कभी मतलबी और स्वार्थी नहीं
हो सकती है. बरहलाल आज जिस कहानी से हम आपको रूबरू करवाने जा रहे है या यूँ
कहे कि जिस माँ के बारे में आपको बताने जा रहे है, उसके बारे में जान कर
आप भी यक़ीनन रो पड़ेगे. गौरतलब है कि एक माँ जिसके बच्चे की शक्ल भले ही
कितनी भी बुरी और बदसूरत क्यों न हो, लेकिन इसकी वजह से वो अपने बच्चे को
प्यार करना कम नहीं कर देती है. जी हां एक माँ के लिए उसके बच्चे ही दुनिया
के सबसे सुंदर बच्चे होते है.
शायद यही वजह है कि भगवान् ने दुनिया में माँ की रचना की है, क्यूकि एक
माँ हर परिस्थिति को हिम्मत के साथ स्वीकार कर सकती है. अगर हम ये कहे कि
माँ से बढ़ इस दुनिया में कोई ताकतवर इंसान नहीं हो सकता, तो कुछ गलत नहीं
होगा. बरहलाल आज जिस माँ के बारे में हम आपको बताने जा रहे है, उन्होंने
अपनी ममता से माँ शब्द का एक नया अध्याय ही शुरू कर दिया है. गौरतलब है कि
यहाँ जिस माँ की हम बात कर रहे है उनका नाम नताली वीवर है. जो अमेरिका के
नार्थ कैरोलीना की रहने वाली है. बता दे कि नताली ने एक माँ होने की बड़ी
जबरदस्त मिसाल कायम की है. दरअसल नताली की एक बेटी है, जो शारीरिक और
मानसिक रूप से दिव्यांग है.
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि नताली की बेटी का नाम सोफिया है. जो जन्म
से ऐसी स्थिति में है. हालांकि इसके बावजूद भी नेताली ने अपनी बेटी को
प्यार और दुलार देने में कोई कसर नहीं छोड़ी. जी हां वास्तव में उन्होंने
अपनी बेटी को हद से ज्यादा प्यार और सम्मान भी दिया. दरअसल नेताली नहीं
चाहती कि उसकी बेटी को कभी ऐसा लगे कि वो असाधारण है या दिव्यांग है. जी
हां नेताली के अनुसार इन बच्चो को नार्मल बच्चो से ज्यादा प्यार की जरूरत
होती है. इसलिए ऐसे बच्चो के साथ हमेशा धैर्य के साथ काम लेना चाहिए,
क्यूकि इन्हे हर काम को सीखने में ज्यादा समय लगता है. इसलिए इन बच्चो के
मामले में इंसान को धैर्य रखने की बेहद जरूरत है.
वैसे आपकी जानकारी के लिए बता दे कि अपनी बेटी को लेकर नेताली सोशल
मीडिया पर भी काफी एक्टिव रहती है. बरहलाल सोशल मीडिया पर वो अक्सर ऐसे
बच्चो के हक़ के लिए लड़ने और उनके अधिकार की खुल कर बातें करती है. इस बारे
में नेताली का कहना है कि इन बच्चो को भी बाकी बच्चो की तरह बेहतरीन जिंदगी
जीने का हक़ मिलना चाहिए और सब के सामने बिना झिझक के आने का सम्मान मिलना
चाहिए, ताकि इन सबसे इन्हे आगे बढ़ने की प्रेरणा मिल सके. ऐसे में सबसे पहले
माता पिता को खुद को बदलने की जरूरत पड़ती है. गौरतलब है कि माँ के सपोर्ट
की वजह से ही सोफिया दिव्यांग होने के बावजूद भी आम बच्चो की तरह जिंदगी
जीती है. जी हां वो अपनी जिंदगी के हर पल को खुल कर एन्जॉय कर रही है.