नासा को पता था कल्पना नहीं उनके शरीर के टुकड़े लौटेंगे…जानिए खौफनाक सच्चाई

 

आज से लगभग 14 साल पहले एक फरवरी के वह दिन सामान्य दिनों की तरह ही था पर सारी दुनिया उस वक़्त सन्न रह गयी जब अमेरिकी सैटेलाइट एजेंसी नासा की ओर से यह खबर आई कि उसके द्वारा स्पेस में भेजी गई सैटेलाइट डिस्कवरी क्रैश हो चुकी है । इस खबर के आने के बाद भारत मे भी हलचलें तेज सी हो गयी थी क्योंकि उस यान में भारत की एक आंतरिक्ष यात्री “कल्पना चावला” भी सवार थी।
उस वक़्त नासा ने इसके पीछे की वजहों का खुलासा तो नही किया था पर हाल में ही उस मिशन से जुड़े प्रोग्राम मैनेजर ने दुनिया के सामने उस घटना की पूरी सच्चाई को बयाँ कर डाला जिसे सुनने के बाद आज हर कोई हैरान है। चलिये बताते है उस याँ के क्रैश होने के पीछे की पूरी सच्चाई।

पहले ही तय थी मौत

हाल में ही हुए एक समारोह के दौरान खुलासा करते हुए उस अधिकारी ने बताया कि जिस दिन कल्पना चावला का यान सारे आंतरिक्ष यात्रियों को लेकर उड़ान भरा था उसी दिन यह निश्चित हो चुका था कि वो लोग वापस जमीन पर नही सही सलामत नही उतर पायेंगे। मौत की खबर पक्की हो जाने के बाद भी कल्पना सहित उनके अन्य 7 साथियों को इस खबर से अंजान रखा गया। आंतरिक्ष दाल के सारे लोग बेफिक्र होकर जहाँ एक ओर अपना काम कर रहे थे वही दूसरी ओर उनके ऊपर मौत का साया हमेशा मंडरा रहा था।

नासा ने क्यों छुपाया राज?

नासा के अधिकारियों के लगातार संपर्क में होने के बाद भी उन्हें इस बात की जानकारी नही दी गयी और उन्हें इन सभी बातों से अनजान रखकर उनसे अपना मिशन पूरा करवाया गया। नासा के ऊपर आज यह सवाल खड़ा हो रहा है कि जिन अंतरिक्ष यात्रियों ने नासा के मिशन को पूरा करने में अपनी जी जान लगा दिया उसे उसके मौत की भविष्यवाणी के बारे में जानकारी क्यों नही दी गयी। इसके अलावे इस सच को उसके परिवार वालों और पूरी दुनिया से अब तक क्यों छुपाया गया। आखिर नासा ने ऐसा क्यों किया इसके पीछे भी नासा और उनके वैज्ञानिकों की एक दलील अब सामने आई है।

ये थी नासा की दलील

नासा के वैज्ञानिक दल के मुताबिक वे हरगिज नही चाहते थे कि मिशन पर गए आंतरिक्ष यात्रियों को इसकी भनक लगे और उनका ध्यान अपने काम के ऊपर से हटकर अपनी जिंदगी के बारे में सोचने में गुजरें। उनका मानना था कि जब तक भी उनकी जिंदगी है वे लोग आराम से अपनी जिंदगी को देश के लिए बेहतरीन काम को करते हुए अपने प्राण त्याग दे। आगे इस मुद्दे के ऊपर बोलते हुए वेन हेल ने बताया कि अगर उस हालात में किसी आंतरिक्ष यात्री को अपने मौत की खबर का पता भी चल जाता वो लाचार और विवश होकर बस मौत का इंतज़ार ही कर सकते थे।
ज्यादा से ज्यादा वक्त तक अगर वह खुद को बचाना चाहते तो उनके पास जितने भी वक़्त का ऑक्सीजन मौजूद था वो लोग उस वक़्त तक आंतरिक्ष के चक्कर काट रहे होते। बाद में उन्हें कभी न कभी तो आंतरिक्ष को छोड़कर धरती की सतह में वापस आना पड़ता और उस वक़्त उनकी मौत तय थी। खुलासा हो जाने के बाद किसी को इस खबर के ऊपर यकीन नही हो रहा वही दूसरी ओर कल्पना के पिता ने इस खबर को खारिज कर दिया।