प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी बुलेट ट्रेन परियोजना आशा से
अधिक समस्याएं दे रही है और इसकी कीमत बढ़ सकती है जिससे जापान को भारी
चिंता का सामना करना पड़ रहा है जो इसकी लागत का 90 प्रतिशत फंड के रूप में
दे रहा है। 2023 की निर्धारित समय सीमा से पूर्व परियोजना को पूरा करने की
अपनी इच्छा के तहत मोदी जमीन पर ज्यादा तीव्र ट्रैक की बजाय अधिक
‘एलोवेटिड ट्रैक’ बनाने पर जोर दे रहे हैं। अधिक से अधिक किसान अपनी जमीन
के अधिग्रहण के खिलाफ रोष व्यक्त कर रहे हैं। मोदी चाहते हैं कि मुम्बई और
अहमदाबाद के बीच तीव्र गति ट्रैक के 509 कि.मी. रास्ते में 332 कि.मी. जमीन
पर रेल पटरी बनाई जाए और 144 कि.मी. एलोवेटिड लाइन बिछाई जाए ताकि बुलेट
ट्रेन का एलोवेटिड हिस्सा बढ़ाया जा सके।
भूमि अधिग्रहण में हो रहे विलम्ब से परेशान मोदी चाहते हैं कि एलोवेटिड
ट्रैक अधिक बनें। जापानी अधिकारी इस बात को लेकर चिंतित हैं कि 1.08 लाख
करोड़ रुपए की परियोजना में से वे 88 हजार करोड़ रुपए का फंड दे रहे हैं
जिस पर 50 वर्षों के लिए .01 प्रतिशत की दर से प्रतिवर्ष ब्याज लिया जाएगा।
अगर मोदी सरकार अधिक एलोवेटिड ट्रैक बनाने पर जोर देती है तो जापान को
अधिक लागत वहन करनी होगी। जापान इस वृद्धि से इंकार कर रहा है। मोदी निजी
तौर पर गुजरात और महाराष्ट्र में भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया पर निगरानी रख
रहे हैं। दोनों राज्यों में भाजपा की सरकार है।
उन्होंने हाल ही में वन भूमि की 77.45 हैक्टेयर जमीन बुलेट ट्रेन के लिए देने का आदेश दिया है। दोनों राज्यों से कहा गया है कि वे इस परियोजना को तीव्र गति देने के लिए नैशनल हाई स्पीड रेल कार्पोरेशन लिमिटेड (एन.एच.एस.आर.सी.एल.) के साथ करीबी सहयोग करें। यह क्षेत्र दोनों राज्यों के 42 गांवों में फैला हुआ है। दोनों सरकारों ने केंद्र को अपने प्रस्ताव भेज दिए हैं। इससे पहले वन भूमि की 106 हैक्टेयर जमीन को केंद्र द्वारा महत्वाकांक्षी मुम्बई ट्रांस हार्बर लिंक (एम.टी.एच.एल.) प्रोजैक्ट के लिए डी-नोटिफाइड किया गया है। इसके साथ ही समर्पित फ्रेट कॉरिडोर मुम्बई और दादरी के बीच बनाया जाएगा।
उन्होंने हाल ही में वन भूमि की 77.45 हैक्टेयर जमीन बुलेट ट्रेन के लिए देने का आदेश दिया है। दोनों राज्यों से कहा गया है कि वे इस परियोजना को तीव्र गति देने के लिए नैशनल हाई स्पीड रेल कार्पोरेशन लिमिटेड (एन.एच.एस.आर.सी.एल.) के साथ करीबी सहयोग करें। यह क्षेत्र दोनों राज्यों के 42 गांवों में फैला हुआ है। दोनों सरकारों ने केंद्र को अपने प्रस्ताव भेज दिए हैं। इससे पहले वन भूमि की 106 हैक्टेयर जमीन को केंद्र द्वारा महत्वाकांक्षी मुम्बई ट्रांस हार्बर लिंक (एम.टी.एच.एल.) प्रोजैक्ट के लिए डी-नोटिफाइड किया गया है। इसके साथ ही समर्पित फ्रेट कॉरिडोर मुम्बई और दादरी के बीच बनाया जाएगा।
इन राज्यों के किसान आंदोलन कर रहे हैं और अपनी जमीन देने से इंकार कर रहे
हैं। वे सूरत में बैठकें भी कर रहे हैं। गुजरात और महाराष्ट्र के लगभग 312
गांवों को अपनी जमीन छोड़नी होगी। वन विभाग और रेलवे से संबंधित 7974 प्लाट
इस परियोजना के लिए अधिगृहीत किए जाएंगे। मोदी ने दोनों राज्य सरकारों से
कहा है कि वे अगले 2 महीनों में हर कीमत पर भूमि अधिग्रहण का काम पूरा करें
ताकि लागत पर फिर से काम किया जा सके। वह नहीं चाहते कि किसान कोई आंदोलन
करें।