अभी हाल ही में हुए कैराना लोकसभा उपचुनाव
में बीजेपी (भारतीय जनता पार्टी) को मिली हार के पीछे कई बातों के अलावा
गन्ना किसानों की नाराज़गी भी एक बड़ा कारण बनकर सामने आया है. अकेले उत्तर
प्रदेश में चीनी मिलों का किसानों पर क़रीब 13,000 करोड़ रुपया बक़ाया हो
चुका है. ऐसे में अब मोदी सरकार गन्ना किसानों की मदद के लिए एक बड़े पैकेज
पर विचार कर रही है.
चीनी का बफ़र स्टॉक बनेगा
बुधवार को होने वाली कैबिनेट की बैठक में मोदी सरकार चीनी को लेकर कई बड़े फ़ैसले कर सकती है. इसमें चीनी का बफर स्टॉक बनाने का फैसला सबसे अहम हो सकता है. सूत्रों के मुताबिक कैबिनेट लगभग 30 लाख टन चीनी का बफर स्टॉक बनाए जाने की योजना को मंज़ूरी दे सकती है. बफर स्टॉक बनाने में 1200 करोड़ रुपए लगने की संभावना है. बफर स्टॉक बनने से चीनी की मांग और आपूर्ति के अंतर को मिटाने के साथ-साथ उत्पादित चीनी की खरीद भी सुनिश्चित हो सकेगी.
बुधवार को होने वाली कैबिनेट की बैठक में मोदी सरकार चीनी को लेकर कई बड़े फ़ैसले कर सकती है. इसमें चीनी का बफर स्टॉक बनाने का फैसला सबसे अहम हो सकता है. सूत्रों के मुताबिक कैबिनेट लगभग 30 लाख टन चीनी का बफर स्टॉक बनाए जाने की योजना को मंज़ूरी दे सकती है. बफर स्टॉक बनाने में 1200 करोड़ रुपए लगने की संभावना है. बफर स्टॉक बनने से चीनी की मांग और आपूर्ति के अंतर को मिटाने के साथ-साथ उत्पादित चीनी की खरीद भी सुनिश्चित हो सकेगी.
एथेनॉल उत्पादन नीति में भी बदलाव
देश में एथेनॉल की क्षमता बढ़ाने के लिए भी सरकार कोई फैसला ले सकती है. लगभग 4400 करोड़ रुपए के इस पैकेज के तहत एथेनॉल के उत्पादन के लिए गन्ना का उपयोग बढ़ाने पर बल दिया जाएगा. इसके लिए खाद्य मंत्रालय ने पेट्रोलियम मंत्रालय से नीति में समुचित बदलाव करने की ग़ुज़ारिश की है.
देश में एथेनॉल की क्षमता बढ़ाने के लिए भी सरकार कोई फैसला ले सकती है. लगभग 4400 करोड़ रुपए के इस पैकेज के तहत एथेनॉल के उत्पादन के लिए गन्ना का उपयोग बढ़ाने पर बल दिया जाएगा. इसके लिए खाद्य मंत्रालय ने पेट्रोलियम मंत्रालय से नीति में समुचित बदलाव करने की ग़ुज़ारिश की है.
कई अन्य फैसले भी होंगे
बफ़र स्टॉक और एथेनॉल के अलावा सरकार कुछ अन्य उपायों पर भी फ़ैसला ले सकती है.
बफ़र स्टॉक और एथेनॉल के अलावा सरकार कुछ अन्य उपायों पर भी फ़ैसला ले सकती है.
- सरकार मिल से निकलने वाली चीनी का न्यूनतम विक्रय मूल्य तय कर सकती है, न्यूनतम मूल्य 30 रुपये प्रति किलो के आस-पास हो सकता है.
- इसका मतलब ये होगा कि चीनी मिलें इस क़ीमत से कम पर चीनी नहीं बेच सकेंगी.
- चीनी मिलों पर चीनी रखने की सीमा तय करने पर भी फ़ैसला हो सकता है.
- सरकार ये भी तय कर सकती है कि आख़िर कोई भी चीनी मिल हर महीने कितनी चीनी जारी कर सकता है.
- इसका मतलब ये होगा कि चीनी मिलें इस क़ीमत से कम पर चीनी नहीं बेच सकेंगी.
- चीनी मिलों पर चीनी रखने की सीमा तय करने पर भी फ़ैसला हो सकता है.
- सरकार ये भी तय कर सकती है कि आख़िर कोई भी चीनी मिल हर महीने कितनी चीनी जारी कर सकता है.
दिलचस्प बात ये है कि मोदी सरकार के इस
पैकेज को एनसीपी (नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी) नेता और पूर्व कृषि मंत्री
शरद पवार की सिफारिश के बाद तैयार किया गया है.
पहले भी कई ऐलान कर चुकी है सरकार
इस साल चीनी के बंपर उत्पादन के अलावा राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय बाजार में चीनी के कम दाम के चलते चीनी मिलें अबतक किसानों से खरीदे गए गन्ने का पूरा दाम नहीं दे पाई हैं. हालात ये है कि देश भर के गन्ना किसानों का चीनी मिलों पर बकाया 20,000 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है. इससे निपटने के लिए पहले भी सरकार चीनी पर आयात शुल्क 100 फीसदी और निर्यात शुल्क शून्य फ़ीसदी करने के साथ साथ गन्ना किसानों को प्रति तन 5.50 रुपए सब्सिडी देने का भी ऐलान कर चुकी है.