आज भारत लौटेगा विवादित और देश द्रोही इस्लाम उपदेशक जाकिर नाईक



सांप्रदायिक अशांति फैलाने, मनी लॉन्ड्रिंग जैसे आरोपों में वांछित विवादित इस्लामिक उपदेशक जाकिर नाइक आज भारत लौट सकता है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मलयेशियाई पुलिस ऑफिसर ने जाकिर  के प्रत्यर्पण की पुष्टि की है। जाकिर नाइक पर राष्ट्रीय जांच एजैंसी ने 2017 में आपराधिक मामला दर्ज किया था।  

बता दें, नाईक एनआईए और ईडी की जांच का सामना कर रहा है क्योंकि बांग्लादेश ने कहा था कि पीस टीवी पर उसका भाषण ढाका में 2016 के हमले की एक वजह था। इस हमले में एक भारतीय लड़की सहित 22 लोगों की जान चली गई थी। नाईक के गैर सरकारी संगठन इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन को 2016 में ही अवैध घोषित किया जा चुका है और इस मामले में 18 करोड़ रुपए से अधिक की रकम के धन शोधन के आरोपों की प्रवर्तन निदेशालय जांच कर रहा है।  उधर, सूत्रों के अनुसार NIA के DG ने कहा- जाकिर नाईक के प्रत्यर्पण की खबर निराधार और गलत है।  

गौरतलब है कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने  जाकिर नाईक के खिलाफ अक्तूबर 2017 युवाओं को अपने भड़काऊ भाषण के जरिए उकसाने और भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाते हुए  मुंबई की विशेष अदालत में 65 पन्नों की चार्जशीट दायर की थी। । एनआईए  नाईक के खिलाफ चार्जशीट के साथ ही 1000 पन्नों के दस्तावेज भी कोर्ट में पेश कर चुकी है जिसमें 80 गवाहों के बयान दर्ज हैं। 

जाकिर पर आतंकियों को वित्तीय मदद देने और काले धन को सफेद करने का भी आरोप लगाया गया है। एनआईए ने जाकिर के भाषणों की सीडी, डीवीडी, टीवी कार्यक्रम, सोशल साइट और ब्लॉग पर उसके लेख आदि का भी आरोप पत्र में जिक्र किया है। बीते साल एक जुलाई को बांग्लादेश की राजधानी ढाका के एक होटल में हुए बम धमाके के बाद जाकिर नाईक का आतंकी कनेक्शन सामने आया था। इस धमाके में 2  पुलिस अधिकारी सहित 29 लोगों की मौत हो गई थी। हालांकि सभी पांचों हमलावर आतंकियों को मार गिराया गया था।  

विदेशी चंदे से कराता था धर्मांतरण
जाकिर नाईक की संस्था IRF को विदेशों से बड़े पैमाने पर चंदे मिलते थे, जिसका इस्तेमाल वह धर्मांतरण और आतंकवाद के लिए करता था। मुंबई से चार छात्रों के आईएस में शामिल होने के बाद यह बात सामने आई थी कि चारो युवक जाकिर नाईक को मानते थे।जाकिर एक स्कूल भी चलाता था, जिसमें लेक्चर ट्रेनिंग, हाफिज बनने की क्लास और इस्लाम से संबंधित कार्यक्रम होते थे। उसके बाद गृह मंत्रालय ने आईआरएफ के वित्तीय स्रोत की जांच के आदेश दिए और इसकी संस्था पर पांच साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया गया।