मेजर आदित्य कुमार और राइफलमैन औरंगजेब समेत सशस्त्र बलों के 20 कर्मियों
को शौर्य चक्र से सम्मानित किया जाएगा। कुमार उस वक्त विवादों में आ गए थे
जब जनवरी में उनकी यूनिट ने दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिले में पथराव कर
रही भीड़ पर गोली चला दी थी जिसमें तीन लोग मारे गए थे। जम्मू-कश्मीर के
रहने वाले औरंगजेब को भी तीसरा सबसे बड़ा शौर्य पुरस्कार दिया जाएगा।
आतंकवादियों ने जून महीने में पुलवामा से अगवा करके उनकी बर्बरता से हत्या
कर दी थी। उस वक्त वह ईद मनाने के लिए छुट्टी पर अपने घर जा रहे थे। 44
राष्ट्रीय राइफल्स से ताल्लुक रखने वाले औरंगजेब का गोलियों से छलनी शव
पुलवामा में कलामपुरा से करीब 10 किलोमीटर दूर मिला था। एक सरकारी
विज्ञप्ति में बताया गया है कि औरंगजेब को पुरस्कार पिछले साल छह नवंबर को
दक्षिण कश्मीर में आतंकवाद रोधी अभियान में वीरता दिखाने के लिए दिया गया
है। सिपाही वी.पाल. सिंह को मरणोपरांत कीर्ति चक्र के लिए नामित किया गया
है।
दक्षिण कश्मीर के अलगर गांव में नवंबर 2017 में आतंकवाद रोधी अभियान में
उनकी मौत हो गई थी। पानी के जहाज से दुनिया का चक्कर लगाने वाले अभियान में
शामिल रही भारतीय नौसेना की छह महिला अधिकारियों को नौसेना मेडल दिया
जाएगा। स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर शौर्य पुरस्कार विजेताओं की
आधिकारिक सूची रक्षा मंत्रालय ने जारी की। इन पुरस्कारों को राष्ट्रपति
रामनाथ कोविंद ने सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर के तौर पर मंजूरी दी हैं
सरकार ने उच्चतम वीरता पुरस्कार अशोक चक्र का ऐलान नहीं किया है। वीरता
पुरस्कार पाने वालों की सूची जम्मू कश्मीर के आतंकवाद रोधी अभियानों में
बहादुरी दिखाने वाले और कुर्बानी देने वाले सेना के कई कर्मियों के नाम
हैं।
शौर्य चक्र के लिए मेजर आदित्य कुमार का चयन करने को लेकर एक सरकारी
विज्ञप्ति में कहा गया है कि उन्हेांने नवंबर 2017 में कश्मीर के बडगाम में
एक आतंकवाद रोधी अभियान के दौरान सावधानीपूर्वक योजना बनाई और बहादुर से
कार्रवाई की।’’ मेजर कुमार की अगुवाई वाली यूनिट ने 27 जनवरी को शोपियां
में पथराव कर रही भीड़ पर गोली चला दी थी, जिसमें तीन व्यक्तियों की मौत हो
गई थी। इसके बाद जम्मू कश्मीर पुलिस ने घटना में शामिल सैन्य कर्मियों के
खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। फरवरी में मेजर कुमार के पिता ने उच्चतम
न्यायालय का रूख करके प्राथमिकी रद्द करने की मांग की थी। मामले की सुनवाई
के दौरान केंद्र सरकार ने कहा कि राज्य में सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून
(आफस्पा) लागू होने की स्थिति में राज्य सरकार किसी सेवारत सैन्यकर्मी के
खिलाफ प्राथमिकी दर्ज नहीं कर सकती।