प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज 51वीं बार देशवासियों
से मन की बात की। मोदी ने नए साल का जिक्र करते हुए कहा कि अब हर व्यक्ति
को आगे बढ़कर देखने की कोशिश करनी होगी। हमें देश और समाज में बदलाव के लिए
काम करना है। सरकार की योजनाओं के बारे में बताते हुए प्रधानमंत्री ने
कहा- “इस साल आयुष्मान भारत योजना शुरू हुई। सरदार पटेल की स्टैच्यू ऑफ
यूनिटी लगी। देश को पर्यावरण के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सम्मान मिला।
देश को सेल्फ डिफेंस में ताकत मिली। देश की बेटियों ने नाव से दुनिया की
परिक्रमा की। देश के सबसे लंबे रेल रोड ब्रिज की असम में शुरुआत की गई। इस
बार भारत ने एशियन गेम्स समेत कई खेलों में मेडल जीते। यह सब 130 करोड़
देशवासियों के बूते पूरा हो सकता है। नए साल में देश नई ऊंचाइयों को
छुएगा।”
देश ने कई महान लोगों को खोया
मोदी ने कहा, “इस साल हमने चेन्नई के डॉक्टर जयाचंद्रन को खोया। वे
गरीबों को मुफ्त इलाज प्रदान करते थे। दिसंबर में सुलागिट्टी नरसम्मा का
निधन हुआ था। उन्होंने कर्नाटक में प्रसव के लिए महिलाओं के बीच काम किया।
हमारे समाज में, हमारे आस-पास बहुत कुछ अच्छे काम हो रहे हैं और ये सब 130
करोड़ भारतवासियों के सामूहिक प्रयासों से हो रहा है। आजकल कई वेबसाइट समाज
में बदलाव लाने वाले नायकों की कहानियों को फैलाने का काम कर रही हैं।
क्या हम एक काम कर सकते हैं? - ऐसी वेबसाइट के बारे में आपस में जानकारी
साझा करें। सकारात्मकता को मिलकर वायरल करें।”
खिलाड़ी देते हैं प्रेरणा
“हर समाज में खिलाड़ियों का महत्व होता है। कश्मीर की बेटी अनाया (12
साल) ने कोरिया में कराटे प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीता। वैसे ही 16 साल
की रजनी ने विश्व जूनियर मुक्केबाजी में मेडल जीता। उसने मेडल जीतकर एक
गिलास दूध पीया। ऐसा इसलिए किया क्योंकि उसके पिता एक स्टॉल पर दूध बेचते
थे। रजनी के परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। पिता जसमेर सिंह ने पूरा
सपोर्ट दिया तो उसने देश का नाम रोशन किया। इसी महीने वेदांगी कुलकर्णी ने
साइकिल से दुनिया का चक्कर लगाया है। वह रोजाना 300 किलोमीटर साइकिल चलाती
थीं। हमें इन घटनाओं से प्रेरणा मिलती है।”
हमारे त्योहारों में एक भारत-श्रेष्ठ भारत की महक
मकर संक्रांति पर रंग-बिरंगी पतंगे दिखेंगी। यह पर्व कई रूप में मनाया
जाता है। संक्रांति पर्व खेती-बाड़ी और प्रकृति से जुड़ा है। भारतीय
त्योहार प्रकृति और खगोलीय घटनाओं के साथ जुड़े हैं। चंद्रमा और सूर्य की
स्थिति के अनुसार त्योहार मनाए जाते हैं। हमारे कई त्योहारों में नदियों और
तालाबों को बचाने का भाव है। छठ और संक्रांति पर्व पर लोग पवित्र नदियों
में डुबकी लगाते हैं। विविधता में एकता’, ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना
की महक हमारे त्योहार अपने में समेटे हुए हैं।
राष्ट्रीय एकता का महाकुंभ बने कुंभ
हमारी संस्कृति में ऐसी चीज़ों की भरमार है, जिनपर हम गर्व कर सकते हैं और
पूरी दुनिया को अभिमान के साथ दिखा सकते हैं, और उनमें एक है कुंभ
मेला। कुंभ की दिव्यता से भारत की भव्यता पूरी दुनिया में अपना रंग
बिखेरेगी। मेरा आप सब से आग्रह है कि जब आप कुंभ जाएं तो इसके अलग-अलग पहलू
और तस्वीरें सोशल मीडिया पर जरूर शेयर करें, ताकि अधिक-से-अधिक लोगों को
कुंभ में जाने की प्रेरणा मिले।