नासा ने छिपाया था भारत की पहली अंतरिक्ष महिला कल्पना चावला की मौत का राज!

नासा ने छिपाया था भारत की पहली अंतरिक्ष महिला कल्पना चावला की मौत का राज! 

 

कल्पना चावला, जिसने न केवल धरती पर बल्कि अंतरिक्ष में भी भारतीय महिलाओं का नाम गौरव किया है। आज इनका नाम हर वैज्ञानिक ही नही महिला के लिए प्रेरणा है। कल्पना न केवल अपने सपनों को हासिल किया बल्कि साबित कर दिया की हम अपने सपनों को अपने दम पर पा सकते है। उस रास्ते में चाहे कितनी भी मुश्किलें क्यों न आए। हम हर मुश्किल का आसानी से सामना कर सकते हैं। लेकिन सबके लिए प्रेरणा बनने वाली इस महिला से जुड़ी मौत का राज नासा ने छुपाया था। उन्होंने न केवल कल्पना बल्कि बाकी वैज्ञानिकों से भी छुपाया था कि उस दिन यान में ऐसा क्या हुआ था, जिस कारण उनकी मौत हो गई। आइए जानते है कि क्या है वह सच। 

क्यों सफेद धुएं में बदल गया था यान 

कल्पना चावला ने अंतरिक्ष पर कदम रख कर अपना सपना तो पूरा कर लिया था लेकिन वह यह नही जानती थी कि अंतरिक्ष में कदम रखने के बाद वह कभी भी धरती पर कदम नहीं रख पाएगीं। अपनी पहली अंतरिक्ष यात्रा के बाद जब दूसरी बार 2003 में कल्पना ने अपने वैज्ञानिक साथियों के साथ अंतरिक्ष यात्रा की। कोलंबिया स्पेस शटर यान जब धरती के वायुमंडल से बाहर गया तो शटल के साथ एक भारी टुकड़ा टकरा गया था। इस बारे में यान में बैठे वैज्ञानिकों व कल्पना को नही मालूम था लेकिन नासा में बैठे वैज्ञानिक इस बारे में जान चुके थे। इस के बाद उन्होंने किसी को कुछ नही बताया। इसके बाद यान अंतरिक्ष में पहुंच गया। वहां पर सभी वैज्ञानिकों ने मिलकर 16 दिन तक अपनी रिसर्च व कार्य अच्छे से किया। उन्होंने अपनी सारी रिपोर्ट धरती नासा के पास भेज दी। उसके बाद जब यान वापिस आ रहा था, धरती के वायुमंडल में प्रवेश करते ही, यान के उस हिस्से पर वायु का दबाव पड़ने लगा। उस समय भी यान में बैठे सभी लोग इस बात से बेखबर थे लेकिन नासा के वैज्ञानिक जानते थे कि अब क्या होगा। इसके बाद 1 फरवरी को धरती से करीब 63 किलोमीटर की दूरी पर ही यान टूट कर गिर गया। उस समय धरती पर खड़े लोगों को सिर्फ एक सफेद धुंए की लाइन ही दिखाई दी। 

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नासा ने इसलिए छिपाई वैज्ञानिकों से सच्चाई

नासा वैज्ञानिकों ने बताया कि उन्हें यह बात पता लग चुकी थी। मगर उन्होंने कल्पना व बाकी साथियों को इसलिए यह बात नही बताई ताकि वह अंतरिक्ष में अपने 16 दिन बिना किसी डर व खुशी से जी सकें। अगर उन्हें यह बात पता लगती तो वह काफी दुखी व डर जाते। 

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अमेरिका से पूरी की अपनी पढ़ाई

17 मार्च, 1962 में हरियाणा के करनाल में जन्मी कल्पना चावला ने 12वीं के बाद पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला ले लिया था। घर में प्यार से सभी इन्हें मोंटू कहते थे। इन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई करनाल के टैगोर बाल निकेतन से की। इनके पिता इन्हें टीचर या डॉक्टर बनाना चाहते थे लेकिन इन्होंने अपने पिता से इंजीनियर बनने की इच्छा जाहिर की। बचपन से ही इन्हें अंतरिक्ष में रुचि थी। वह अपने पिता से अक्सर अंतरिक्षयान के बारे में पूछा करती थी। उसके बाद उन्होंने अमेरिका से 'एरो स्पेस इंजीनियरिंग' में अपनी पीएचडी पूरी की। 

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पहली बार स्पेस में बिताए थे 372 घंटे

दिसंबर 1994 में उन्होंने नासा के स्पेस सेंटर में ट्रेनिंग शुरु की। अगले ही साल उन्हें एस्ट्रोनोट ग्रुप के लिए चुन लिया था गया। उसके बाद 19 नंवबर 1997 को  एसटीएस 87 मिशन ने अपनी पहली उड़ान भरी। यह उड़ान 19 नंबवर से लेकर 15 दिसंबर तक थी। इस दौरान उन्होंने 372 घंटे स्पेस में बिताते हुए धरती की 252 परिक्रमा पूरी की थी। अपनी पहली सफल उड़ान के बाद उन्होंने 2003 में अपनी दूसरी उड़ान भरी। कोलंबिया स्पेस शटल में भरी इस उड़ान के समय उन्हें यह नहीं मालूम था कि यह उनकी अंतिम उड़ान होगी। दूसरी उड़ान में उन्होंने 16 दिन अंतरिक्ष में बिताए थे। 

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