जम्मू-कश्मीर के हालात को लेकर रविवार की शाम को राज्य के प्रमुख सियासी
दलों ने नेशनल कांफ्रेंस प्रमुख डॉ. फारूक अब्दुल्ला के घर पर एक बैठक की।
इस मीटिंग में कश्मीर में बने अफरा-तफरी के माहौल पर चर्चा की गई।
अब्दुल्ला के घर पर हुई इस मीटिंग से पहले राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री
महबूबा मुफ्ती के घर पर भी अहम बैठक हुई।
सर्वदलीय बैठक के बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने
कश्मीर के हालात पर कहा कि कश्मीर के लिए यह सबसे बुरा वक्त है। आज से पहले
कभी भी अमरनाथ यात्रा रद्द नहीं की गई। शांति की वकालत करते हुए उन्होंने
कहा कि भारत और पाकिस्तान कोई ऐसा कदम न उठाएं जिससे दोनों देशों के बीच
तनाव बढ़े।
इस सर्वदलीय बैठक में कांग्रेस, पीडीपी, सज्जाद लोन और शाह फैसल की
पार्टी के नेता भी शामिल हुए थे। बैठक के बाद अब्दुल्ला ने कहा कि,
“सर्वदलीय बैठक में सर्वसम्मति से फैसला लिया गया है कि जम्मू-कश्मीर और
लद्दाख की पहचान, स्वायत्तता और इसके विशेष दर्जे पर कोई भी हमला होता है
तो हम सब मिलकर इसकी रक्षा करेंगे।”
वहीं महबूबा मुफ्ती ने बैठक में कहा कि “विभिन्न राजनीतिक दलों ने यहां
एक होटल में मुलाकात का फैसला किया था, लेकिन पुलिस ने सभी होटलों के लिए
एक एडवाइजरी जारी कर कहा कि कोई भी होटल अपने परिसर में किसी भी प्रकार की
राजनीतिक बैठक का आयोजन नहीं कर सकेगा।”
महबूबा ने कहा कि “केंद्र सरकार ने अलगाववादियों के साथ जो करना था वह
किया। अब वह वही हथकंडा जम्मू-कश्मीर के मुख्यधारा के नेताओं और राजनीतिक
दलों के साथ अपना रहे हैं। जब उन्हें यह पता लगा कि सभी राजनीतिक दल बैठक
करने वाले हैं तो वह फारूक साहब को घोटाले के मामले को लेकर पूछताछ के लिए
चंडीगढ़ ले गए। केंद्र सरकार भ्रष्टाचार को हथियार बनाकर राजनीतिक दलों और
उनके कार्यकर्ताओं को प्रताड़ित कर रही है।”
इस बैठक के अलावा दूसरी तरफ केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने रविवार को
जम्मू कश्मीर में बढ़ते तनाव के बीच एक उच्चस्तरीय सुरक्षा बैठक की
अध्यक्षता की। इस बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल, गृह सचिव
राजीव गौबा, खुफिया ब्यूरो (आईबी) के प्रमुख अरविंद कुमार, रिसर्च एंड
एनालिसिस विंग (रॉ) के प्रमुख सामंत कुमार गोयल और गृह मंत्रालय के वरिष्ठ
अधिकारियों ने हिस्सा लिया।
आपको बता दें कि 5 अगस्त को सुबह पीएम नरेंद्र मोदी के आवास पर दिल्ली
में कैबिनेट की बैठक होने जा रही है। अटकलें ये भी हैं कि इस बैठक में कोई
बड़ा फैसला लिया जा सकता है। इससे पहले ही कश्मीर के सभी दलों ने बैठक कर
अपनी मंशा साफ कर दी है।