महाराष्ट्र में कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना के बीच आज निर्णायक बातचीत
हुई। इस दौरान शरद पवार ने उद्धव ठाकरे से सीएम की कुर्सी संभालने को कहा।
कांग्रेस भी इस पर सहमत दिखी। मगर उद्धव ठाकरे तैयार नहीं हुए। उद्धव ठाकरे
को डर सता रहा है कि सीएम बनने की सूरत में इस बेमेल से गठबंधन को बचाने
की सारी जिम्मेदारी उनके सिर पर आ जाएगी।
अगर गठबंधन टूटा तो उसके लिए भी उद्धव ही जिम्मेदार ठहराए जाएंगे। उद्धव
ठाकरे का स्वास्थ्य भी ठीक नहीं है। वह इस कुर्सी पर अपनी किसी कठपुतली को
बिठाना चाहते हैं। शिवसेना की ओर से अरविंद सावंत, सुभाष देसाई और एकनाथ
शिंदे के नाम आगे बढ़ाए गए हैं। मगर पवार किसी के लिए भी तैयार नहीं हुए
हैं।
पवार के तैयार ना होने पर शिवसेना ने संजय रावत का नाम बढ़ाया। मगर उस
पर भी सहमत नहीं बन सकी। खुद को फंसता हुआ देख उद्धव ठाकरे ने वक्त ले लिया
है। उधर तीनों ही पार्टियों के बीच कॉमन मिनिमम प्रोग्राम का मुद्दा भी
फंसा हुआ है। शिवसेना अब तक राम मंदिर से लेकर वीर सावरकर जैसे जिन मुद्दों
को उठाती आई है, वह एनसीपी और कांग्रेस के गले की हड्डी बन चुके हैं।
इस बीच शरद पवार ने अपने आगे के दौरे रद्द कर दिए हैं। वह मुंबई में ही
रहेंगे। माना जा रहा है कि तीनों पार्टियों के बीच अगले 24 घंटे में मामले
को अंतिम रूप दिया जा सकता है। मगर मामला उद्धव के सवाल पर फंसा हुआ है। इस
बीच उद्धव ठाकरे को अपने विधायकों के टूटने का डर भी सता सता रहा है।
पार्टी आलाकमान सारे विधायकों से संपर्क में है। उन्हें सुरक्षित जगह पर
रखा जा रहा है। उद्धव ठाकरे इस बात से घबराए हुए हैं कि यह बेमेल गठबंधन
कभी भी ढह सकता है। इसका सीधा असर शिवसेना और खुद उद्धव ठाकरे के राजनीतिक
भविष्य पर पड़ सकता है।