मुंबई के नजदीक पालघर में दो साधुओं और उनके ड्राइवर की भीड़ ने पीट-पीटकर निर्मम हत्या कर दी गई। हत्या को 142 घंटे बीत गए.लेकिन इसके पीछे का सच अभी तक नहीं पता। 16 अप्रैल को संतों की हत्या हुई और 6 दिन बाद महाराष्ट्र सरकार अपराधियों का धर्म बता रही है। किसी ने भी अपराधियों का धर्म नहीं पूछा था। दो संतों की हत्या क्यों हुई. इसकी सच्चाई पूछी थी।
वहीं बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने पालघर के घटना पर खुलासा करते हुए पूछता है भारत कार्यक्रम में कहा कि ''जिस दिन संतों की हत्या हुई, उस दिन पुलिस वालों ने उसी स्थान पर रेलवे कर्मियों को बचा लिया था लेकिन भगवाधारियों को क्यों नही बचा पाएं?'
अर्नब की राय
मैं दो दिन से संतों के लिए इंसाफ मांग रहा हूं। और महाराष्ट्र सरकार कह रही है एक भी आरोपी मुस्लिम नहीं हैं, मैंने तो एक बार भी हत्यारे का धर्म नहीं पूछा ? आप क्या साबित करने की कोशिश कर रहे हो? मैंने सिर्फ एक सवाल पूछा था सोनिया गांधी चुप क्यों है? महाराष्ट्र में कांग्रेस-शिवसेना की सरकार है तो सोनिया से सवाल करना अपराध कैसे हो गया?
तबरेज, पहलू खान, अखलाक की हत्या पर सोनिया गांधी की कहती थी कि सरकार चुप क्यों है? फिर दो संतों की हत्या पर सोनिया गांधी चुप क्यों हैं?पालघर पूरा देश पूछेगा कि सोनिया चुप क्यों? राहुल गांधी साधुओं की हत्या पर चुप क्यों हैं?
राज्य सरकार कह रही है साघुओं को पहचानने में गलती हुई? कैसे गलती हुई उन्होंने गेरुआ कपड़े पहने थे. राम नाम ले रहे थे. साधु और कैसे होते हैं? संतों को पुलिस अपने साथ थाने लाई, जब हत्यारे आए तो पुलिस ने संतों को भीड़ के हवाले कर दिया। पुलिस को ऐसा करने का आदेश किसने दिया था, आपको बाटला हाउस याद होगा, जब सोनिया गांधी आतंकियों के लिए आंसू बहा रही थीं. साधुओं के लिए सोनिया गांधी की आंख में आंसू क्यों नहीं? इस देश को साधू चाहिए या आतंकी चाहिए?