कोरोना (corona) आपदा की मार आम जनता पर ही नहीं बल्कि लाल आतंक पर भी पड़ने लगी है. नक्सलियों पर मानो कोरोना बम (bomb) फट गया है. राशन नहीं होने की वजह से नक्सलियों को खाने के लाले पड़ गए हैं और वो राशन के लिए लगातार ग्रामीणों पर दबाव बना रहे हैं. हालांकि सूचना मिलने के बाद पुलिस ने ग्रामीण इलाकों में सुरक्षा बढ़ा दी है. साथ ही छत्तीसगढ़ से लगे मध्य प्रदेश बॉर्डर पर पुलिस की नजर है. राशन नहीं मिलने की वजह से नक्सलियों में हड़कंप मचा हुआ है.
बालाघाट एसपी अभिषेक तिवारी ने बताया कि लगातार ये सूचना आ रही थी कि राशन के लिए नक्सली, गांव वालों को परेशान कर रहे हैं. जिन इलाकों से यह सूचनाएं मिली हैं, वहां सभी जगह सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है. पुलिस की सख्ती की वजह से अब इस तरीके की शिकायत कम हो गई हैं. जिन ग्रामीण इलाकों में राशन की कमी है, वहां पर पुलिस की मदद से राशन गांव वालों तक पहुंचाया जा रहा है. उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ से लगे इलाके में सुरक्षा भी बढ़ाई गई है. चिह्नित इलाकों में पेट्रोलिंग के साथ पुलिस जवान सर्चिंग भी कर रहे हैं.
नेटवर्क मजबूत करने में जुटे नक्सली
वैसे तो मध्य प्रदेश में नक्सलियों ने किसी बड़ी वारदात को अंजाम नहीं दिया है. लेकिन सूत्रों के अनुसार वह मध्य प्रदेश को सुरक्षित जगह मानते हैं. यहां पर अपना नेटवर्क मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं. सूत्रों ने बताया कि छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में पुलिस के बढ़ते दबाव के बाद नक्सली मध्य प्रदेश को अपनी पनाहगार बना रहे हैं. नक्सली संगठन छत्तीसगढ़ अक्सर पेंच-कान्हा कॉरीडोर से बालाघाट में प्रवेश कर मंडला-अमर कंटक की ओर आते हैं. बालाघाट के बैहर और मंडला के बिछिया-मवई तहसील में ग्रामीणों ने पुलिस को भी संदिग्ध लोगों को देखे जाने की सूचना कई बार दी है.
मुठभेड़ में मारे गए थे दो नक्सली
हाल ही में बालाघाट जिले के लांजी इलाके के देवरबेली स्थित पुजारी टोला में जुलाई में पुलिस ने मुठभेड़ में दो इनामी नक्सलियों को मार गिराया था और तीन नक्सली फरार हो गए थे. इस घटना के बाद से ही नक्सली बौखलाए हुए हैं. सूत्रों ने बताया कि नक्सली सीमावर्ती जिलों में सक्रिय हैं, जो गांव-गांव में बैठकें ले रहे हैं और ग्रामीणों को भड़काते हैं. हालांकि पिछले कई साल से प्रदेश में नक्सलियों की जड़ें कमजोर हुई हैं.