कश्मीर पर ताव दिखाने चले पाक को सऊदी से नहीं मिला भाव, अब चीन की शरण में पहुंचे विदेश मंत्री कुरैशी

 कश्मीर मुद्दे पर इस्लामिक देशों के संगठन ओआईसी की बैठक बुलाने में सऊदी अरब का समर्थन नहीं मिलने से मायूस पाकिस्तान को उसके सदाबहार दोस्त चीन से ही अब एक उम्मीद रह गई है। प्रधानमंत्री इमरान खान की तरफ से यह कहे जाने कि पाकिस्तान का भविष्य उसके लंबे समय से सहयोगी चीन के साथ जुड़ा है, इसके एक दिन बाद पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी बीजिंग के लिए रवाना हो रहे हैं। कुरैशी वहां पर गुरुवार को अपने चीनी समकक्षीय के साथ सामरिक मामलों पर चर्चा करेंगे।

foreign minister makhdoom shah mehmood qureshi is leaving for china on thursday on an overnight visi

पूरे मामले से वाकिफ सूत्र ने बताया कि कुरैश के साथ चीन के दौरे में विदेश सचिव सोहेल महमूद समेत एक राजनयिकों की टीम होगी।

कुरैशी का चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ मिलने का कार्यक्रम हैं। चीन और इस्लामाबाद मिली रिपोर्ट्स के मुताबिक, बातचीत के एजेंडे में बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट्स, द्विपक्षीय संबंध और इस साल के आखिर में राष्ट्रपति शी जिनपिंग के प्रस्तावित पाकिस्तान दौरे की तैयारियों पर चर्चा होगी।

ऐसा माना जा रहा है कि इस दौरान कुरैशी कश्मीर पर पाकिस्तान के रूख को सामने रखकर समर्थन मांग सकते हैं और पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन गतिरोध पर भी चर्चा हो सकती है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने इस हफ्ते एक टेलीविजन चैनल पर इंटरव्यू के दौरान सऊदी अरब और पाकिस्तान के रिश्तों में टूट को आधारहीन करार देते हुए चीन के साथ संबंधों के महत्व पर बल दिया था।

चीन के लेकर पीएम इमरान खान ने कहा कि पाकिस्तान चीन के साथ अपने संबंध बेहतर कर रहा था। उन्होंने कहा, “यह बिल्कुल स्पष्ट होना चाहिए कि हमारा भविष्य चीन के साथ जुड़ा है... चीन को पाकिस्तान की बहुत ज्यादा आवश्यकता है।”

गौरतलब है कि भारत द्वारा पिछले साल अगस्त में जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किए जाने के बाद से पाकिस्तान ओआईसी के विदेश मंत्रियों की बैठक बुलाने पर जोर देता रहा है। ओआईसी के 57 सदस्य हैं। हालांकि, ओआईसी की तरफ से पाकिस्तान के अनुरोध पर अब तक कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला है। 

ओआईसी से सकारात्मक जवाब नहीं मिलने के लिए सबसे बड़ा कारण यह है कि सऊदी अरब इस पर इच्छुक नहीं है। ओआईसी में किसी भी महत्वपूर्ण फैसले के लिए सऊदी अरब का समर्थन महत्वपूर्ण है। इस संगठन पर सऊदी अरब और बाकी अरब देशों का दबदबा है। जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म होने के बाद से पाकिस्तान, भारत के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय समर्थन पाने के लिए कई कोशिशें कर चुका है लेकिन वह सफल नहीं हो पाया है।